नवरात्री में हर दिन का अपना महत्व होता है क्योंकि नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा होती है। इन 9 दिन मां का हर भक्त उनकी भक्ति कर उन्हें खुश करने की कोशिश करता है। नवरात्रि में मां दुर्गा का सोलह श्रृंगार का भी बहुत महत्व है। आपने अक्सर घर की बड़ी बुर्जुग महिलाओं, बहुओं और लड़कियों को व्रत, त्योहार पर श्रृंगार करने की सलाह देते हुए सुना होगा। पर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों कहा जाता है।


आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है इसका महत्व सोलह श्रृंगार घर में सुख और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है।महिलाएं मां भगवती को खुश करने के लिए इस पावन पर्व पर ये श्रृंगार करती हैं।  कुमकुम या बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है। सुहागिन स्त्रियों को कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगानी चाहिए। वैसे अब स्टीकर बिंदी का चलन है तो आप चाहें तो इसे भी लगा सकती हैं। सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है।

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एक बात का जरुरु ध्यान रखे चेहरे की सबसे खूबसूरत चीज और मन का आइना होती हैं आपकी आंखें। जिनका श्रृंगार होता है काजल। और  मेहंदी के बिना हर सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। किसी भी शुभ कार्यक्रम के दौरान महिलाएं हाथों और पैरों मे मेहंदी रचाती हैं। माता रानी को लाल रंग बहुत प्रिय होता है। माता को प्रसन्न करने के लिए कोशिश करें नवरात्रि में रोजाना लाल रंग के वस्त्र धारण कर पूजा करें।


जिस तरह शास्त्रों में लाल रंग को हर शादीशुदा महिला के जीवन में खुशियां और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है ठीक उसी तरह एक रंग ऐसा भी है जिसे पहनना वर्जित माना गया है और वो है काला रंग। किसी भी पूजा में काले रंग के कपड़ों को पहनना बेहद अशुभ माना जाता है। यदि आप माता के प्रकोप से बचना चाहते हैं या फिर उनकी कृपा पाना चाहते हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा करते समय काले कपड़ों को न पहनें।


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