उत्तर प्रदेश के शिक्षा निदेशालय ने छात्रों को अवसाद से बचाने के लिए अनूठी तरकीब निकाली है. अब कॉलेजों में हर शनिवार को 'खुशी की पाठशाला' (Happiness Classes) का आयोजन किया जाएगा. खास बात यह है कि इन क्लासेज में टीचर नहीं बल्कि छात्र ही पढ़ाते भी नजर आएंगे. मेरठ-सहारनपुर मंडल के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी किये गए एक पत्र के मुताबिक, 'उच्च शिक्षा में गुणवत्ता प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. उच्च शिक्षा में एनरोल छात्रों के ओवरऑल विकास के लिए जरूरी है कि वे मानसिक दबाव और तनाव से मुक्त हों. इसको ध्यान में रखते हुए कॉलेजों के प्रत्येक डिपार्टमेंट में हर शनिवार को 'खुशी की पाठशाला' का आयोजन किया जाए. इस पाठशाला के संचालन का मौका ऐसे छात्रों को दिया जाए जिनकी थियेटर या एक्टिंग में दिलचस्पी है और शिक्षकों की हूबहू एक्टिंग कर सकते हैं.'  


पत्र में यह भी कहा गया है कि, 'खुशी की पाठशाला' के दौरान क्लास में दो शिक्षक मौजूद रहेंगे और वे इस पूरी पाठशाला के संचालन की निगरानी करेंगे और जरूरी सुझाव देंगे. साथ ही, छात्रों की तमाम शिकायतों-शंकाओं का भी निदान करेंगे. मेरठ-सहारनपुर मंडल के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है कि वे तनाव से दूर रहें.



इसी को ध्यान में रखते हुए मंडल के सभी कॉलेजों को 'खुशी की पाठशाला' यानी हैप्पिनेस क्लासेज के आयोजन का निर्देश दिया गया है. इस प्रयास से छात्रों के तनाव को दूर करने में मदद तो मिलेगी ही, साथ ही शनिवार को छात्रों की कम उपस्थिति की समस्या से भी काफी हद तक निपटा जा सकता है.'


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