फिर क्या था हर तरफ इनकी ही चर्चा होने लगी, सोशल मीडिया पर लतीशा का नाम कुछ इस कदर छाया की लोग उनका गुणगान करने लगे। लतीशा ने जो किया वो उन लोगों के लिए एक मिसाल है जो खुद में किसी कमी के कारण इतना कमजोर महसूस करते हैं कि वो आगे नहीं बढ़ पाते हैं। लतीशा के इस हौसले को देख हर स्टूडेंट के मन में सफलता को लेकर एक नई किरण अवश्य जाग गई होगी।
बताते चलें कि लतीशा को जन्म से ही टाइप—2 ओस्टियोजेनिसिस इम्परफेक्टा नामक बीमारी है जिसमें हड्डियों का बेडौल और कमजोर हो जाता है। ऐसे में जब लतीशा ये बीमारी से ग्रसित थी तो उनको सांस लेने में समस्या होती है जिसकी वजह से उनको अपने साथ अक्सर एक ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर घुमना पड़ता था। यही वजह है कि कोट्टायम जिला कलेक्टर पीआर सुधीर बाबू के हस्तक्षेप के चलते परीक्षा भवन के अंदर लतीशा को ‘ऑक्सीजन कॉंसेट्रेटर' उपलब्ध कराया गया। वहीं बता दें लतीशा करीब डेढ़ साल से इस परीक्षा की तैयारी कर रही हैं और उनको पूरी उम्मीद है कि वो इसमें सफल भी जरूर होंगी।
वहीं दूसरी ओर इस तरह की बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए काम करने वाली एनजीओं की अध्यक्ष लता नायर का मानना है कि लतीशा जैसी अभ्यर्थियों को यूपीएससी द्वारा बेहतर सुविधाएं दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि लतीशा को मेडिकल जरूरतों के लिए हर महीने लगभग 25,000 रुपये की आवश्यकता होती है।