डेटिंग एप से दिनभर चिपके रहने वाले लोग अकेलेपन और चिंता के शिकार रहते हैं। यही नहीं, ऐसे लोगों में नकारात्मकता के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। ओहयो स्टेट यूनिवर्सिटी की कैथरीन कोडक्टो के मुताबिक डेटिंग एप इस्तेमाल करने वाले फोन का बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।



कार्यस्थलों पर आ रही परेशानी- इसपर किए गए एक अध्ययन में ऐसे प्रतिभागी मिले हैं जिन्हें इस कारण से स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थलों पर भी कई दिक्कतें आई। इसकी वजह थी लगातार अपने फोन को चेक करते रहने की आदत। शोध के अनुसार इस आदत की वजह से कई स्कूल और कॉलेज के छात्र कक्षाओं में भी नहीं गए। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई। जो लोग ऑफिस में काम पर ध्यान नहीं दे पाए, उनकी नौकरी खतरे में आ गई। कैथरीन ने शोध में स्नातक कर रहे 269 छात्रों को शामिल किया था, जो एक से ज्यादा डेटिंग एप इस्तेमाल कर रहे थे।



फोन स्वाइप करने की पड़ गई आदत-कैथरीन ने बताया, मैंने कई लोगों को पागलों की तरह फोन पर ये एप चलाते देखा है। जब वे खाना खाने बाहर जाते हैं या दोस्तों के साथ घूमने जाते हैं तब भी जेब से फोन निकालकर उसे चेक करना नहीं भूलते। बस उन्हें फोन स्वाइप करना बेहद पसंद है, शायद अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताने से भी ज्यादा। इस शोध में सभी से पूछा गया कि वे खुद को कितना अकेला महसूस करते हैं या लोगों के बीच घिर जाने पर घबराहट महसूस करते हैं या नहीं।



प्रतिभागियों से यह भी पूछा गया कि क्या वे इन डेटिंग एप पर वक्त बिताने की अवधि को कम करने की कोशिश करते हैं। इस पर उनका कहना था कि लगातार फोन पर चिपके रहने से उन्हें कई दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन फोन को छोड़ना उनके लिए मुश्किल है। इसमें यह बात भी सामने आई कि लोगों से मिलने-जुलने में घबराने वाले लोग डेटिंग पार्टनर को आमने-सामने मिलने की बजाय ऑनलाइन चैटिंग करके खुद को ज्यादा आत्मविश्वासी महसूस करते थे।



कैथरीन कहती हैं, लोगों को समझना चाहिए कि जब डेटिंग एप का इस्तेमाल समस्या बन जाती है तो इनसे दूरी बना लेने में ही बेहतरी है। अगर वे इसका इस्तेमाल बंद नहीं कर सकते तो एक समय-सीमा बना सकते हैं ताकि बेतहाशा फोन इस्तेमाल करने की आदत से छुटकारा मिल सके। मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए पोर्टल-इंटरनेट व ऑनलाइन गेम की लत मानसिक बीमारी का कारण बन रही है। खासतौर पर छात्रों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है। इसके मद्देनजर एम्स के बिहेवियरल एडिक्शन क्लीनिक (बीएसी) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर एक डिजिटल पोर्टल तैयार किया है जिसे बिहेवियर नाम दिया गया है। एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि यह पोर्टल लोगों को इंटरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण होने वाली मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करने में मददगार होगा।

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