मराठी और हिंदी सिनेमा और रंगमंच के जाने-माने कलाकार डॉ. श्रीराम लागू नहीं रहे। मंगलवार को 92 साल की उम्र में उन्होंने पुणे के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कुछ दिनों से बीमार थे। दो दिनों से उनका मर्ज और भी बढ़ गया था।

 

डॉ. लागू ने 50 साल में हिंदी और मराठी की 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्होंने मराठी, हिंदी और गुजराती के 40 से ज्यादा नाटकों में काम किया। 20 मराठी प्ले भी डायरेक्ट किए। उन्हें मराठी रंगमच के महान अभिनेताओं में गिना जाता है। उन्होंने घरौंदा, लावारिस, मुकद्दर का सिकंदर, हेराफेरी, एक दिन अचानक जैसी फिल्मों में महत्वपूर्ण किरदार निभाए। लागू एक पेशेवर ईएनटी सर्जन भी थे। उनकी आत्मकथा का शीर्षक 'लमाण' है, जिसका हिंदी में अर्थ 'मालवाहक' है।

 

श्रीराम लागू को 1978 में हिंदी फिल्म घरौंदा के लिए सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। मराठी नाटक नट सम्राट में उनका निभाया गया किरदार काफी सराहा गया। 1960 के दौर में लागू ने पुणे और तंजानिया में मेडिकल प्रैक्टिस की। 1969 में वे फुल टाइम एक्टर हो गए। उनकी किताबों में गिधडे, गार्बो और आत्ममाथा शामिल हैं।

 

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने श्रीराम लागू के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट किया- सदी के महान कलाकार श्रीराम लागू जी को मेरी तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि। हमने एक बहुमुखी व्यक्तित्व को खो दिया। एक अद्वितीय रंगमंच अभिनेता ने सिल्वर स्क्रीन पर अपना दबदबा बनाया और प्रभाव पैदा किया। 

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