राष्ट्र्पिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को फादर ऑफ द नेशन या बापू भी कहा जाता है। 2 अक्टूबर, 1869 को जन्मे ‘बापू’ की  30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद गांधी जी के चार बेटों में से तीसरे नंबर के बेटे रामदास (Ramdas Gandhi) ने उनका अंतिम संस्कार किया। बताया जाता है कि गांधी जी ने अपने सभी बेटों में सबसे प्रिय रामदास को ही अपने निधन पर मुखाग्नि का अधिकार दिया था। आइये जानते हैं महात्मा गांधी के चारों बेटों के बारे में।

 

गांधीजी के बेटे
बता दें कि महात्मा गांधी के चार बेटे थे। जिनका नाम हरिलाल गांधी (Harilal Gandhi) मणिलाल (Manilal), रामदास (Ramdas Gandhi) और देवदास (Devdas Gandhi) था। कहा जाता है कि इन सभी में सबसे बड़े हरिलाल और मणिलाल जो कि के गांधीजी से संबंध मधुर नहीं थे। लेकिन इनमें से तीसरे नंबर के बेटे देवदास का ‘बापू’ से खासा लगाव था। जिन्हें गांधीजी ने अपने निधन से काफी पहले ही कहा था कि मेरे मरने पर मुखाग्नि का अधिकार तुमको ही होगा। यह भी बताया जाता है कि देवदास बापू के आज्ञापालक पुत्र थे। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम आंदोलन में कई बार जेल भी गए।

 

बापू के प्रिय बेटे देवदास
बताया जाता है कि महात्मा गांधी के बेटे देवदास गांधी अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ पुणे में बस गए थे। गांधीजी के चार बेटों में सबसे लंबी उम्र देवदास ने ही पाई थी। दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को जब नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या की थी तो उसके बाद देवदास ने ही अपने पिता को मुखाग्नि दी थी। बाद में वो काफी लंबे समय (20 साल) तक हिंदुस्तान टाइम्स (Hindustan Times) में काफी समय तक संपादक रहे। इसके अलावा वह रॉयटर्स (Reuters) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल रहे।


हरिलाल-मणिलाल का व्यवहार
गांधीजी के सबसे बड़े बेटे हरिलाल के बारे में कहा जाता है कि वह अक्सर बापू से जुदा राय रखते थे। हरिलाल 1911 में ही पिता से संबंध तोड़कर दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए थे। लेकिन जब 1915 में गांधीजी अपने दूसरे बेटे मणिलाल के साथ भारत लौटे तो कुछ ही साल के अंदर हरिलाल और मणिलाल दोनों ने पिता से अलग रहने का फैसला किया और वापस अफ्रीका चले गए।

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