बॉलीवुड में मीटू अभियान से तो सभी लोग वाकिफ है, 2018 में मीटू अभियान ही सुर्खियों में कई दिनों तक रहा था और इसकी शुरुआत भी बॉलीवुड से ही हुई थी। बॉलीवुड की एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने यह #metoo का ट्रेंड सोशल मीडिया पर चलाया था। इस अभियान के जरिए वो महिलाएं सामने आई थीं जिनके साथ यौन शोषण और छेड़छाड़ हुई है। इसी अभियान के तहत अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने भी अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। इस खबर से पुरे बॉलीवुड में हलचल मचा दी थी। इस मामले में तनुश्री दत्ता ने फिल्म "हॉर्न ओके प्लीज" के सेट पर गलत तरीके से छूने का आरोप नाना पर लगाया था, यह मामला इतना बढ़ गया कि मुंबई पुलिस तक यह केस पहुंच गया।



नाना पाटेकर के व्यक्तित्व के बारे में पूरा बॉलीवुड जानता है और ऐसे में इस केस ने उनकी छवी को काफी ठेस पहुंचाई है। इसी केस में आज एक नया मोड़ आया है। नाना पाटेकर के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत या गवाह न मिलने पर 'बी समरी' रिपोर्ट दायर की गयी है। मुंबई पुलिस ने अदालत में तनुश्री दत्ता द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों पर 'बी समरी' रिपोर्ट दायर की है जिससे नाना को बहुत समय बाद राहत मिली है। दरअसल यह 'बी समरी' रिपोर्ट शिकायत के आधार पर कोई सबूत न मिलने और जांच करने में पुलिस सक्षम न होने पर दाखिल की जाती है। अदालत में दाखिल हुई इस 'बी समरी' रिपोर्ट से तनुश्री दत्ता को बड़ा झटका लगा है।


आपको बता दें कि तनुश्री दत्ता ने 2018 में बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। तनुश्री दत्ता ने #metoo के जरिये सालों पुराने मामले को लेकर नाना पाटेकर पर आरोप लगाते हुए कहा था "नाना पाटेकर ने मुझे गाने के स्टेप्स सिखाने के बहाने टच किया, उन्होंने मुझे बहुत ही अश्लील ढंग से छुआ था। नाना की इस हरकत के बाद तनुश्री फिल्म से बाहर हो गई थीं और उनकी जगह राखी सावंत को लाया गया था।" इस मामले में नाना को मिली राहत से उनके चाहने वाले खुशी से झूम उठे है। नाना पाटेकर को क्लीन चिट मिलने से बौखलाई तनुश्री दत्ता ने कहा कि 'भ्रष्ट पुलिस फोर्स, लीगल सिस्टम ने उनसे भी ज्यादा भ्रष्ट नाना पाटेकर को क्लीन चिट दी है, जिनपर पहले भी कई महिलाओं ने धमकी देने और उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।' इस मामले में तनुश्री के वकील नितिन सातपुते ने कहा कि 'अगर पुलिस 'समरी रिपोर्ट' को ध्यान में रखते हुए कोई बी या सी क्लासिफिकेशन फाइल करती है और वो फाइनल नहीं होती, तो हम कोर्ट के सामने इसके खिलाफ खड़े हो सकते है और सुनवाई के बाद पुलिस को दोबारा जांच करने या आगे जांच करने के लिए मांग कर सकते हैं।'

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