फिल्म रिव्यु : प्रस्थानम

कलाकार: संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, मनीषा कोइराला, चंकी पांडे, अली फजल, सत्यजीत दुबे और अमायरा दस्तूर आदि।

निर्देशक: देवा कट्टा

निर्माता: मान्यता दत्त

रेटिंग : 2. 5/ 5

विरासत की जंग के साथ थ्रिल की फिल्म है प्रस्थानम। संजय दत्त के चाहने वाले उन्हें इसी अंदाज़ में देखना पसंद भी करते हैं। फिल्म कहीं कहीं संजय दत्त की अपनी कहानी के बहुत करीब नज़र आती है खासकर जब संजय सियासी किरदार अदा करते हैं।

प्रस्थानम नौ साल पुरानी तेलुगू फिल्म का रीमेक होने के बाद भी हिंदी सिनेमा में घुसपैठ है। निर्देशक देवा कट्टा की ये कहानी एक पिता की दो ऐसी संतानों के महाभारत की कहानी है। इन्हे किसी की सुनने की आदत नहीं है। फिल्म को यू पी की पृष्ठभूमि, रीति रिवाजों और वहां की बोली के साथ फिल्माई गयी है।

फिल्म की कहानी एमएलए बलदेव प्रताप सिंह (संजय दत्त) और उनके परिवार की कहानी है। बल्लीपुर के बलदेव सिंह को अपने सौतेले बेटे आयुष (अली फजल) का पूरा भरोसा है और वह आयुष को ही राजनीतिक वारिस मानते हैं। दूसरा सौतेला भाई विवान (सत्यजीत दुबे) है जो बिगड़ैल और हिंसक है। इन तीनों पुरुषों की जिंदगी बलदेव सिंह की पत्नी सरोज (मनीषा कोइराला) से बंधी हुई है। इस परिवार की उथल-पुथल भरी राजनीतिक कहानी है 'प्रस्थानम'।

बतौर लीड कैरेक्टर संजय दत्त प्रभावित करते हैं। फिल्म में भारी भरकम डायलॉग और किरदार को एक घिसी पिटी कहानी पर चलाया गया है। कहानी में कसाव की कमी खलती है।

जैकी श्रॉफ का काम और अभिनय दमदार है वहीँ चंकी पांडे भी असर डालने में कामयाब हैं। अली फजल का काम भी और इम्प्रूव हुआ है जबकि सत्यजीत दुबे को इस फिल्म से करियर बनाने में मदद मिलनी चाहिए। मनीषा कोइराला का रोल जितना अहम् है उनका स्पेस उतना ही काम नज़र आया। अमायरा दस्तूर ना भी होती तो शायद काम चल जाता।

निर्देशक देवा कट्टा के निर्देशन में रीति रिवाज और यू पी का प्रेजेंटेशन काफी बेहतर कहा जायेगा मगर संगीत का पक्ष औसत से भी खराब है। गाने फालतू में एक थ्रिलर फिल्म को उबाऊ बनाते हैं। क्रिटिक्स की निगाह से इसे 5 में से 2. 5 रेटिंग दी जा सकती है।

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