संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण में लोहे या उससे बनी सामग्री का इस्तेमाल नहीं होगा। इसका निर्माण भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के तहत किया जाएगा।मंदिर समिति के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मंदिर के शिलान्यास के दो साल बाद बृहस्पतिवार को इसकी नींव में फ्लाई ऐश कंकरीट भरने का काम पूरा हो गया। इस दौरान बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग मंदिर स्थल पर मौजूद रहे।


मंदिर समिति के प्रवक्ता अशोक कोटेचा ने ”गल्फ न्यूज” से कहा, आमतौर पर, (भवन) की बुनियाद में कंक्रीट और लोहे का इस्तेमाल किया जाता है। भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के अनुसार, इस मंदिर के निर्माण में इस्पात या इससे बनी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘नींव को मजबूती देने के लिये फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया जाएगा।’


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के ओपेरा हाउस से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्­तम संस्­था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखी थी। यूएई में भारतीय मूल के 30 लाख से अधिक लोग रहते हैं।

 

पीएम मोदी ने 2018 में रखी थी आधारशिला: गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के ओपेरा हाउस से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम संस्था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखी थी। बता दें कि अरब अमीरात में भारतीय मूल के 30 लाख से  ज्यादा लोग रहते हैं। यह मंदिर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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