वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को दिया जाएगा। अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है, तीनों को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा। 58 साल के अभिजीत बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एमआईटी) में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं। बनर्जी ने साल 1981 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री (बीएससी) लेने के बाद 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से शोध किया। नोबेले पुरस्कार के सम्मान से नवाजे जाने के साथ ही अभिजीत बनर्जी उन भारतीय और भारतवंशी नागरिकों की प्रतिष्ठित सूची में शुमार हो गए हैं जिन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आइए जानते हैं नोबेल पाने वाले भारतीय और भारतवंशी नागरिकों के बारे में।


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रवींद्रनाथ टैगोर (1913)
साहित्य को देश से लेकर अंतराराष्ट्रीय स्तर तक नई पहचान दिलाने वाले रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म सात मई, 1861 को कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था। वह पहले भारतीय हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे पहले शख्स थे जिनकी रचनाओं को दो देशों में राष्ट्रगान के रूप में गाया जाता है। इनमें एक है भारत का जन गण मन... और दूसरा है बांग्लादेश का अमार शोनार बांग्ला...। साहित्य के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें नोबेल से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह नोबेल अंग्रेजी में उनकी लिखी रचना के लिए दिया गया था।


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सीवी रमन (1930)
टैगोर को यह सम्मान दिए जाने के 17 वर्षों बाद भौतिक शास्त्री सी वी रमन को नोबेल पुरस्कार दिया गया। फिजिक्स के क्षेत्र में यह सम्मान उन्हें रोशनी के फैलाव के विषय में उनके कार्यों के लिए दिया गया। उनका पूरा नाम सर चंद्रशेखर वेंकट रमन है।


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हर गोविंद खुराना (1968)
महान भारतीय-अमेरिकी बायोकेमिस्ट हर गोविंद खुराना का जन्म अविभाजित भारत में नौ जनवरी, 1922 को पंजाब के छोटे से गांव रायपुर में हुआ था, जो अब पूर्वी पाकिस्तान में है। उन्होंने 'जीन इंजीनियरिंग' यानी की 'बायोटेक्नोलॉजी' की नींव रखी थी। खुराना को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें 'जेनेटिक कोड की विवेचना और प्रोटिन सिंथेसिस में इसके फंक्शन' विषय पर दिया गया।


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मदर टेरेसा (1979)
रोमन कैथलिक नन मदर टेरेसा को 1979 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्हें मानवता की सेवा में उनके योगदान के लिए इस सम्मान से नवाजा गया। मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 में हुआ। वे मेसिडोनिया की राजधानी स्कोप्जे शहर में पली-बढ़ीं। टेरेसा ने 1950 में कोलकाता का रुख किया और कोलकाता को ही अपना घर बनाया। उन्होंने 68 साल तक गरीबों और लाचार वर्ग की सेवा कर दुनिया को मानवता की शिक्षा दी। उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। बता दें वे भारत में आने से पहले ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया और युगोस्लाविया की नागरिक रह चुकी थीं। भारत उनका पांचवां और सबसे पसंदीदा घर बना।


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सुब्रमण्यन चंद्रशेखर (1983)
भारतीय-अमेरिकी सुब्रमण्यन चंद्रशेखर को विलियम ए.फॉलर के साथ भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्हें यह सम्मान सितारों के विकास और संरचना में फिजिकल प्रॉसेस के सैद्धांतिक अध्ययन के लिए दिया गया। बीसवीं शताब्दी के महान खगोल भौतिक विज्ञानियों में चंद्रशेखर का नाम लिया जाता है। उनका जन्म लाहौर में हुआ था लेकिन बाद में उनका परिवार दक्षिण भारत में बस गया। उनकी आरंभिक शिक्षा हिंदू हाइस्कूल में हुई और फिर मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से उन्होंने विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की। जिसके बाद वे स्कॉलरशिप पर ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने चले गए।


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अमर्त्य सेन (1998)
कोलकाता में 1933 में जन्मे अमर्त्य सेन को कल्याणकारी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1998 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। सेन अमेरिका के हार्वड विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। वे पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ा चुके हैं। सेन ने एमआईटी, बर्कली, स्टैनफोर्ड और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में अतिथि अध्यापक के तौर पर पढ़ाया है।


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वेंकटरमण रामकृष्णन (2009)
भारतीय मूल के रामाकृष्णन को 2009 का रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्हें राइबोसोम्ज की संरचना और क्रियाकलाप के अध्ययन पर इसराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमरीका के थॉमस स्टीज के साथ संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया गया था। भारत के तमिलनाडु के चिदंबरम में जन्मे वेंकटरामन ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैंब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। 67 वर्षीय वेंकटरामन रामकृष्णन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की एमआरसी लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी के स्ट्रकचरल स्टडीज़ विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। डॉक्टर रामकृष्णन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने राइबोसोम्ज का गहन अध्ययन किया था। राइबोसोम्ज शरीर की कोशिश के भीतर प्रोटीन बनाते हैं।


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कैलाश सत्यार्थी (2014)
बच्चों के अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले और बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी को साल 2014 शांति के नोबेल से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान पाकिस्तान की बाल अधिकार कार्यकर्ता मलाला युसुफजई के साथ संयुक्त रूप से दिया गया। कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 को मध्यप्रदेश के विदिशा में हुआ था। पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहे सत्यार्थी ने 1980 में बचपन बचाओ आंदोलन की स्थापना की थी। इसके बाद वे दुनियाभर के 144 देशों के 83,000 से ज्यादा बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर चुके हैं।

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