अपना वादा निबने के बेहद कारेब आ चुकी मोदी सरकार अब एक और बड़ा पर्दाफाश करने वाली है। बताते चलें की भष्टाचार और काले धन के खिलाफ पूरी तरफ से प्रतिबद्ध तत्कालीन सरकार के प्रयासों का एक नतीजा आज सारी दुनिया के सामने आने वाला है जब दुनिया की सबसे सुरक्षित बैंक यानी की स्विस बैक उन सभी भर्तियों की सूची भारत को सौंपेगा जो काला धन जमा करने वालों की लिस्ट में शामिल हैं। बता दें की बीते 5 सालों में मोदी सरकार ने ब्‍लैकमनी पर नकेल कसने के लिए नोटबंदी और बेनामी प्रॉपर्टी से जुड़े कई अहम फैसले लिए. अब सरकार के दूसरे कार्यकाल में ब्‍लैकमनी को लेकर जो खबर आई है वो थोड़ी राहत देने वाली है। असल में स्विस बैंकों में किन भारतीयों के बैंक खाते हैं, इस बात से आज पर्दा उठने वाला है। स्विट्जरलैंड में बैंक खाते रखने वाले भारतीय नागरिकों की जानकारी आज से टैक्स अधिकारियों के पास उपलब्ध हो जाएगी।


इस कदम को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा, 'काले धन के खिलाफ सरकार की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है और स्विस बैंकों के गोपनीयता का युग आखिरकार सितंबर से खत्म हो जाएगा।' सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति बनाता है, वहीं सीबीडीटी ने बताया कि भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीय नागरिकों के साल 2018 में बंद किए खातों की जानकारी भी मिलेगी। सीबीडीटी का कहना है कि सूचना आदान-प्रदान की यह व्यवस्था शुरू होने के ठीक पहले भारत आए स्विट्जरलैंड के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजस्व सचिव एबी पांडेय, बोर्ड के चेयरमैन पीसी मोदी और बोर्ड के सदस्य (विधायी) अखिलेश रंजन के साथ बैठक की।


आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस साल लोकसभा में जून महीने में वित्त पर स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट पेश की गई थी॥ इसके मुताबिक साल 1980 से साल 2010 के बीच 30 साल के दौरान भारतीयों के जरिए लगभग 246.48 अरब डॉलर यानी 17,25,300 करोड़ रुपये से लेकर 490 अरब डॉलर यानी 34,30,000 करोड़ रुपये के बीच काला धन देश के बाहर भेजा। अगर ऐसा हो जाता है की तो निश्चित रूप से ये भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगाई और भ्रष्टाचार पर ये एक बहुत ही तगड़ा प्रहार भी होगा।

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