दुनिया में पांच साल से कम उम्र के करीब 70 करोड़ बच्चों में एक तिहाई या तो कुपोषित हैं या मोटापे से जूझ रहे हैं। इसके चलते उन पर जीवन पर्यन्त स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त रहने का खतरा मंडरा रहा है। मंगलवार को जारी हुई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दुनिया में 80 करोड़ से ज्यादा आबादी भुखमरी से पीड़ित है। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोरे ने ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड  चिल्ड्रन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि इंसान स्वस्थ रहने के लिए बेहतर खानपान की लड़ाई हार रहा है। वर्ष 1999 के बाद आई इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में से करीब आधे बच्चों को आवश्यक विटामिन और खनिज नहीं मिल पा रहे हैं। बीते तीन दशकों में बच्चों में कुपोषण का एक दूसरा रूप मोटापे के तौर पर भी देखा गया है। हालांकि, वर्ष 1990 से 2015 के बीच गरीब देशों में बच्चों के बौने होने के मामलों में करीब 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इतना ही नहीं चार साल या इससे कम उम्र के 14 करोड़ 90 लाख बच्चों का कद अभी भी अपनी उम्र के हिसाब से छोटा हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 40 फीसदी खाना बर्बाद हो जाता है और यह देश में भुखमरी का सबसे अहम कारण है।


ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 102वें स्थान पर, नेपाल और पाकिस्तान से भी पीछे 
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' यानी जीएचआई में भारत इस बार और नीचे गिरकर 102वें रैंक पर आ पहुंचा है। दुर्भाग्य इसलिए भी कि इस सूची में कुल 117 देश ही हैं। यकीनन साल दर साल रैकिंग में आई गिरावट चिंताजनक है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान 94वें स्थान पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स चार पैमानों पर देशों को परखता है। ये चार पैमाने- कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, चाइल्ड वेस्टिंग और बच्चों की वृद्धि में रोक हैं। 102वें स्थान पर रहने का मतलब है कि भारत इन चारों पैमानों पर विफल साबित हुआ है। इस सूची में भारत नेपाल (73), म्यांमार (69), श्रीलंका (66) और बांग्लादेश (88) से भी पीछे है। वहीं चीन इस सूची में 25वें स्थान पर है। इस साल की इंडेक्स में जलवायु परिवर्तन और भूख के बीच भी संबंध को रेखांकित किया गया है। 117 में से 47 देश ऐसे हैं, जहां भूख की समस्या बेहद गंभीर है।


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घटता है बच्चों में आईक्यू स्तर
यूनिसेफ के पोषण कार्यक्रम के प्रमुख विक्टर अगुआयो ने कहा कि, कुपोषण अहम सूक्ष्मपोषक तत्वों की कमी और मोटापे का तिहरा बोझ एक ही देश, कभी-कभी एक ही पड़ोसी और अक्सर एक ही घर में पाया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ भोजन न मिलने से बच्चों में आयरन की कमी एनीमिया का कारण बनती है। इससे बच्चों में आईक्यू लेवल कम होता है। लेकिन आमतौर पर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं। एक तरफ सभी आयु वर्गों में विश्व के 80 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी से पीड़ित हैं और अन्य दो अरब लोग अस्वस्थ खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन कर रहे हैं, जिसके कारण मोटापा, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ रही है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, छह माह से कम आयु के हर पांच में से केवल दो शिशुओं को ही केवल मां का दूध मिल रहा है। ‘फार्मूला मिल्क’ की बिक्री विश्व में 40 प्रतिशत बढ़ी है।

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