ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुस्लमिन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया था। जिसका कि शाहबानो मामले से कोई लेना-देना नहीं था। ओवैसी ने पत्रकारों से कहा, 'फैसले के बाद 15 मिनटों के बाद कानून का उल्लंघन किया गया। बाद में राजीव गांधी ने वहां से अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया। पांच मिनट की सुनवाई में 25 पेजों का आदेश जारी किया गया। ताले खोलने का शाह बानो ममाले से कोई लेना-देना नहीं था।'


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उन्होंने आगे कहा, 'माधव गोडबोले ने जो भी कहा है वह सच है। उन्होंने हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में जो कहा है वह ऐतिहासित तथ्य है। उनके आदेश पर ताला खोला गया था और उस समय वहां कांग्रेस की सरकार थी।' इससे पहले पूर्व केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने कहा कि अगर राजीव गांधी ने कार्रवाई की होती तो बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद का हल हो सकता था। गोडबोले ने दावा करते हुए सोमवार को कहा कि साल 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने से पहले ही तत्कालीन केंद्र सरकार केंद्रीय सुरक्षा बलों को अयोध्या भेजकर इसे रोक सकती थी। यहां तक कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता था क्योंकि तत्कालीन राज्य सरकार के केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने पर संशय था।


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उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने एक बड़ी व्यापक योजना बनाई थी, क्योंकि राज्य सरकार के केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने की संभावना नहीं के बराबर थी। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को संदेह था कि ऐसी किसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान के तहत उनके पास शक्तियां हैं। माधव गोडबोले ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने कार्रवाई की होती तो मसले का समाधान निकल सकता था। क्योंकि दोनों ही तरफ की राजनीतिक स्थिति मजबूत नहीं थी, ऐसे में कुछ हिस्सा लेकर या देकर सर्वमान्य हल निकाला जा सकता था।

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