मुंबई। महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने से इनकार करने वाली शिवसेना को जब एनसीपी और कांग्रेस से भी मायूसी हाथ लगी तो पार्टी ने अपने मुखपत्र के माध्यम से सफाई देने की कोशिश की है। कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी शिवसेना ने सामना के ताजा संपादकीय में लिखा है कि आखिर क्यों वह तथाकथित सेक्युलर कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार का गठन करना चाह रही थी।



पार्टी ने सामना में लिखा है कि, 'महाराष्ट्र की जनता द्वारा दिए आदेश का पालन नहीं हो रहा है और यह जनादेश का अपमान है। आदि तत्वचिंतन का विचार देने वालों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि जो ये जनादेश मिला है, ये ‘दोनों’ को मिला है। दोनों ने मिलकर जिस नीति पर मुहर लगाई उसे यह जनादेश मिला है। इस बात को वे मानने को तैयार नहीं थे, इसीलिए महाराष्ट्र की माटी का स्वाभिमान बनाए रखने के लिए हमें ये कदम उठाना पड़ा। इसका दोष कोई हमें क्यों दे?'



शिवसेना ने लिखा कि, 'कहा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी तत्ववादी, नैतिकता और संस्कारों से युक्त पार्टी है तो महाराष्ट्र के संदर्भ में भी उन्हें तत्व और संस्कार का पालन करना चाहिए था। भारतीय जनता पार्टी विरोधी पक्ष में बैठने को तैयार है। इसका मतलब कांग्रेस और राष्ट्रवादी का साथ देने को तैयार हैं, ऐसा कहा जाए तो उन्हें मिर्ची नहीं लगनी चाहिए। दिए गए वचन पर भाजपा कायम रहती तो परिस्थिति इतनी विकट न होती....


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