उन्नाव। करीब 90 फीसदी झुलसी उन्नाव में आग के हवाले की गई दुष्कर्म पीड़िता की शुक्रवार देर रात दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। उत्तर प्रदेश का उन्नाव जिला प्रदेश के 'रेप कैपिटल' के रूप में उभरकर सामने आया है। इस वर्ष 2019 में जनवरी से लेकर नवंबर तक 86 दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 63 किलोमीटर दूर और कानपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित उन्नाव की जनसंख्या 31 लाख है।

 

खबरों के अनुसार, इसी दौरान जिले में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के 185 मामले भी सामने आए हैं।

 

कुलदीप सिंह सेंगर दुष्कर्म मामले और गुरुवार को महिला को आग लगाने के मामले से इतर कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामले भी हैं, जिसमें पुरवा में एक महिला के साथ हुए दुष्कर्म में प्राथमिकी इस साल एक नवंबर को लिखी गई।

 

उन्नाव के असोहा, अजगैन, माखी और बांगरमऊ में दुष्कर्म और छेड़खानी के मामले दर्ज किए गए हैं।

 

इनमें से अधिकतर मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें या तो जमानत पर रिहा कर दिया गया, या फिर वे फरार चल रहे हैं।

 

स्थानीय लोग राज्य में हो रहे इन मामलों के लिए पुलिस को दोष देते हैं।

 

अजगैन के निवासी राघव राम शुक्ला ने कहा, "उन्नाव की पुलिस पूरी तरह से नेताओं के अनुसार काम करती है। जब तक उन्हें अपने आकाओं से इजाजत नहीं मिलती वे एक इंच तक नहीं हिलते हैं। इस रवैये से अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं।"

 

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, कानून मंत्री बृजेश पाठक और भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज सहित प्रदेश के कुछ शीर्ष नेता उन्नाव से ही आते हैं।

 

एक स्थानीय वकील ने कहा, "यहां राजनीति से अपराध को बढ़ावा मिलता है। नेता अपराध का इस्तेमाल राजनीति में कर रहे हैं और पुलिस उनकी हितैषी बनी हुई है। यहां तक कि जब किसानों ने हाल ही में एक नई टाउनशिप के लिए भूमि अधिग्रहण पर हिंसा का सहारा लिया, तो वे रक्षात्मक बने रहे। ऐसा एक भी मामला नहीं है, जब पुलिस ने सख्त रवैया अपनाया हो।"

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