नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र में विपरीत मत और विरोध को अनिवार्य अधिकार बताते हुए कहा है कि विरोध जताने के लिए कागज फाड़ना ‘राष्ट्रीय क्षति’ है, क्योंकि विरोध के इस तरीके से लोगों में गलत संदेश जाता है। नायडू ने मंगलवार को एक कार्यक्रम करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली में विरोध दर्ज कराने के कारगर उपाय मौजूद हैं लेकिन इन उपायों से इतर तरीके अपनाना उचित नहीं है।

 

 

इससे पहले सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के नेता असदुद्ददीन ओवैसी ने विधेयक की प्रति फाड़ दी थी। नायडू ने संसद सदस्यों से सरकार की नाकामियों को उजागर करने के लिए सदन में सवाल पूछने से लेकर मत विभाजन कराने सहित अन्य विधिसम्मत तरीक़े अपनाने को कारगर तरीका बताते हुए कहा, 'कागज फाड़कर आप सिर्फ राष्ट्रीय क्षति करते हैं। यह बात समझना चाहिए कि इससे लोगों के मन में व्यवस्था के प्रति छवि को बेहद नुकसान होता है।'

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विरोध और आलोचना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है और इससे सरकार की कमियों को दूर करने मे मदद मिलती है। इसीलिए संसदीय प्रक्रिया में सवाल पूछने, मतविभाजन कराने और निजी विधेयक सहित विरोध के तमाम तरीक़ों को सुझाया गया है। नायडू ने कहा कि इनके माध्यम से सरकार की ग़लतियों को उजागर किया जा है।

 

नायडू ने कहा की सभी राजनीतिक दलों को यह समझना चाहिए कि उनके कार्यों की जनता बारीकी से समीक्षा करती है। उन्होंने राष्ट्रीय हित को सभी दलों के लिए सर्वोपरि बताते हुए कहा, 'हमारे लिए देश सबसे पहले, दल बाद में और स्वयं सबसे बाद में हों, यही लक्ष्य होना चाहिए। दुर्भाग्यवश कुछ लोग इसके विपरीत सोच के साथ काम कर रहे हैं।'

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