खबरों के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि निर्भया गैंग रेप के दोषियों को दिसम्बर के महीने में फांसी पर लटका दिया जाएगा। इस फांसी को अंजाम देने के लिए मेरठ जेल के आधिकारिक जल्लाद पवन जल्लाद को बुलाया जाएगा। बता दे, पवन की पीढ़ी दर पीढ़ी जल्लाद का काम करते हुए आ रही है। पवन ने पहले अपना दादा कल्लू जल्लाद के बाद अपने पिता को भी कई दोषियों को फांसी देते हुए देखा है। 

 

फांसी की सजा जज द्वारा सुनाई जाती है लेकिन सजा का अंजाम जल्लाद देता है। सवाल यह उठता है कि क्या किसी जल्लाद के लिए किसी को फांसी देना आसान होता है? जल्लाद को ये काम करने के लिए कितना वेतन दिया जाता है ओर वे फांसी देने के बाद कैसा महसूस करते है? इन्ही सब बातों के जवाब आज हम पवन जल्लाद के उदाहरण से जानेंगे।

 

कौन है पवन जल्लाद
पवन जल्लाद मेरठ के रहने वाले है। पवन मेरठ जेल के अधिकृत जल्लाद भी है। जल्लाद का काम पवन का सिर्फ एक पेशा है जिसे उनकी पीढ़ी दर्द पीढ़ी करते हुए आ रही है। वह इसे एक पार्ट टाइम की तरह रखते है। इसके अलावा पवन सायकल पर कपड़े बेचने का काम करते है। पवन की उम्र महज 56 वर्ष है लेकिन वो बचपन से ही अपने दादा ओर पिता को जल्लाद काम करते हुए देखते आये है। बता दे, इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले हत्यारे ओर मशहूर अपहरण कर्ता रंगा- बिल्ला को फांसी भी पवन जल्लाद के दादा कल्लू जल्लाद द्वारा दी गयी थी। 

 

 

क्या जल्लाद के लिए किसी को फांसी देना आसान है?
कथित तौर पर इस बारे में कुछ कह पाना शायद सही नही होगा। लेकिन पवन एक इंटरव्यू में बता चुके है कि वह अपने दादा ओर पिता के साथ 80 से भी ज्यादा बार फांसी की सजा को अंजाम देते हुए देख चुके है। जब वे छोटे थे तब वे एक बार फांसी की सजा देखने गए थे, इस दौरान कैदी अपने अंतिम समय मे भगवान का नाम ले रहा था। और जैसे-जैसे फांसी का समय नज़दीक आ रहा था वो काफी ज्यादा छटपटाने लग गया था। जब पवन ने उस कैदी के पैरों पर रस्सी बांधी तब उस मुज़रिम की कंपकपी पवन को भी महसूस हुई थी। अभी देश में कुछ गिने चुने लोग ही है जो जल्लाद का काम करते है। लेकिन पवन ये तय कर चुके है कि उनके बच्चे कभी जल्लाद वाला काम नही करने वाले है वो अभी से ही उन्हें सरकारी नौकरी की तैयारियाँ करवा रहे है।


 
वैसे जल्लाद के लिए किसी को फांसी देना आसान नही होता है। पवन के अनुसार, “अपने नाम के पीछे जल्लाद जुड़ जाना एक गाली की तरह प्रतीत होता है। लेकिन मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं ऐसे लोगों को फांसी देता हूँ जो जीने के काबिल नही होते है।” वैसे तो सरकार के हिसाब से किसी भी इंसान की स्वतंत्रता ओर जिंदगी को छीन लेना कानून के खिलाफ है लेकिन सरकार ही सिर्फ ऐसा काम कर सकती है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि पवन सरकार के प्रति ईमानदारी से बस अपना कर्तव्य ही निभा रहे है।

 

 

फांसी देने के लिए प्रैक्टिस की जरूरत होती है
पवन के अनुसार, फांसी देना इतना आसान भी नही होता है। इसके लिए उन्होंने काफी बार प्रैक्टिस की थी। प्रैक्टिस के दौरान वह इंसान के वजन जितना रेत का बैग भरते थे और उसे फांसी देकर ट्रेनिंग किया करते थे। साथ ही फांसी के दौरान इन बातों पर भी बराबर ध्यान देना होता गई कि रस्सी की गांठ सही बंधी है, या नही। इस बात पर भी उचित ध्यान देना होता है कि किस तरह रस्सी को गर्दन के आस-पास से गुजरना है। इन्ही सब चीजों के अलावा कई चीजों की प्रैक्टिस जल्लाद फांसी के कुछ दिन पहले किया करते है। हालाकिं, सुनने में काफी अजीब लगे लेकिन इस बात पर भी काफी जोर दिया जाता है कि फांसी के दौरान दोषी को ज्यादा कष्ट ना झेलना पड़े।

 

जल्लाद को फांसी के बदले कितना वेतन मिलता है
एक जल्लाद को इस काम के लिए एक निश्चित राशि हर महीने दी जाती है। यह राशि ज्यादा बड़ी नही होती है यहीं कोई 3000 से 5000 के बीच होती है। लेकिन हर फांसी के लिए जल्लाद को अलग से भी कुछ पैसा दिया जाता है। अगर दोषी कोई बड़ा मुज़रिम, आतंकवादी या रेप का मुज़रिम हो तो जल्लाद को उन्हें फांसी देने में एक बड़ी रकम भी दी जाती है। जैसे इंदिरा गांधी के हत्यारे को फांसी देने के लिए पवन के दादा कल्लू को 25000 रुपये दिए गए थे।

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