जामिया नगर इलाके में रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर पुलिस का लोकल नेटवर्क फेल हो गया। सूत्रों के मुताबिक, जामिया नगर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में रविवार को बंद का आह्वान किया गया था। इसका असर भी देखने को मिला। इलाके की सभी मार्केट पूरी तरह बंद रही। सुबह से ही लोगों ने समूह बनाकर इलाके में पैदल मार्च निकालना शुरू कर दिया था। विरोध मार्च के बाद भी पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। दोपहर होते-होते प्रदर्शन दो बड़े समूह में बंट गया। एक समूह शाहीन बाग के सामने सरिता विहार-नोएडा रोड पर स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहा था। 

 

दूसरा समूह जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के पास प्रदर्शन कर रहा था। जामिया से भीड़ आगे बढ़ी और उसने हिंसा की। सूत्रों का कहना है कि भीड़ को अगर वहीं पर रोक लिया जाता तो शायद हिंसा इतने बड़े पैमाने पर नहीं होती। जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को छात्रों ने जब अधिनियम का विरोध किया था तो स्थानीय लोगों ने भी उनका पूरा साथ दिया। शनिवार को भी विरोध प्रदर्शन में स्थानीय लोग शामिल रहे। दो दिन प्रदर्शन के बाद इलाके के लोगों ने रविवार को बंद का आह्वान कर दिया। बावजूद इसके, पुलिस गंभीर नहीं हुई। सुबह भीड़ ने पूरे जामिया नगर इलाके में विरोध प्रदर्शन और मार्च किया। 

 

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कुछ लोगों ने अपनी दुकानें खोली भी हुई थीं, भीड़ ने जबरन उनकी बंद करवा दीं। दोपहर दो बजे के बाद धीरे-धीरे छोटे-छोटे समूहों ने दो बड़े ग्रुप का रूप अख्तियार कर लिया। इसके बाद भी पुलिस स्थिति को नहीं भांप पाई। भीड़ बढ़ती गई और शाम को हिंसा का रूप ले लिया। जब तक पुलिस हालात को समझ पाती तब तक हालात बेकाबू हो गए। इसके बाद पुलिस को अर्द्घसैनिक बल को भी बुलाना पड़ा।

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