नयी दिल्ली। निर्भया के दोषियों में से एक मुकेश सिंह ने पटियाला हाउस अदालत से जारी डेथ वारंट को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मुकेश की याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। कारण कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश व विनय की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद मुकेश ने राष्ट्रपति को दया याचिका भी भेजी है। इसके साथ ही निर्भया के दोषियों के पास मौजूद लगभग सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं।
 
 
बता दें कि निर्भया के दोषियों की फांसी के लिये अदालत ने सात जनवरी को डेथ वारंट जारी किया था। इन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी है। पेश याचिका को न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया है। 

 
यह याचिका अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने मुकेश की ओर से दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि मुकेश ने उपराज्यपाल व राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। इसलिये डेथ वारंट को रद किया जाये। इस वारंट के अमल पर रोक लगायी जाये, अन्यथा याची को संवैधानिक अधिकार प्रभावित होगा।

 
14 दिन का नोटिस देने की मांग
 
याचिका में कहा गया है कि दया याचिका खारिज होने की स्थिति में उसके डेथ वारंट पर अमल के लिये 14 दिन का नोटिस दिया जाए। शत्रुघ्न चौहान बनाम केंद्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक दया याचिका खारिज होने की सूचना दोषी को मिलने व उसके फांसी के वारंट पर अमल के बीच 14 दिन का अंतर होना चाहिये ताकि वह अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर सके।

 

गुनहगार विनय-मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दो गुनहगारों विनय शर्मा और मुकेश कुमार की क्यूरेटिव पिटीशन (सुधारात्मक याचिका) मंगलवार को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने इनके डेथ वारंट पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। इसके साथ ही इन दोनों के पास मौत की सजा से बचने का अंतिम कानूनी विकल्प खत्म हो गया। हालांकि इनके पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का रास्ता बचा है। दो अन्य दोषियों अक्षय सिंह और पवन गुप्ता ने अभी क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं की है।

जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने दोनों की याचिका और दस्तावेजों पर गौर करने के बाद क्यूरेटिव याचिकाएं खारिज कर दीं। दोपहर 1:45 बजे चैंबर में सुनवाई में कोर्ट ने डेथ वारंट पर रोक की मांग भी ठुकरा दी। दोनों की याचिका पर खुली कोर्ट में सुनवाई की भी मांग भी खारिज कर दी। गौरतलब है कि सात जनवरी को दिल्ली की एक कोर्ट ने चारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर फांसी के लिए 22 जनवरी सुबह सात बजे का समय तय किया है। दोनों ने नौ जनवरी को क्यूरेटिव याचिका लगाई थी।

 

चाल-चलन और परिवार का हवाला, आखिरी सांविधानिक रास्ता

 
चाल-चलन और परिवार का हवाला
 
विनय ने याचिका में कहा कि उसकी कम उम्र को गलत तरह से खारिज किया गया। सामाजिक, आर्थिक स्थिति, बीमार माता-पिता सहित परिवार में आश्रितों, जेल में अच्छे चाल-चलन और सुधार की संभावना पर ध्यान नहीं दिया गया। उसने 17 ऐसे मामलों का हवाला दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म और हत्या के मामले में मौत की सजा उम्रकैद में बदली है।

 
आखिरी सांविधानिक रास्ता दया याचिका
  • विनय-मुकेश खुद या उनके रिश्तेदार अनुच्छेद-72 के तहत दया याचिका लगा सकते हैं।
  • ऐसा हुआ तो राष्ट्रपति कार्यालय दया याचिका पर केंद्र सरकार से सलाह मांगेगा।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय संबंधित राज्य से रायशुमारी के बाद राष्ट्रपति को रिपोर्ट देगा।
  • राष्ट्रपति के लिए सरकार का निर्णय मानना बाध्यकारी है। हालांकि दया याचिका के निपटारे की सीमा तय नहीं है। याचिका लंबित होने पर दोषी कोर्ट से मौत की सजा पर रोक की गुहार लगा सकता है।

 

डेथ वारंट के खिलाफ मुकेश ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार

निर्भया मामले में मौत की सजा पाए चार दोषियों में से एक मुकेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने पर डेथ वारंट के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। मुकेश ने अपनी वकील वृंदा ग्रोवर के जरिये हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। यह मामला जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की कोर्ट के समक्ष बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। याचिका में सात जनवरी को जारी किए गए डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि मुकेश ने मंगलवार को ही राष्ट्रपति और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के समक्ष दया याचिका दायर की है।

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