अमेरिका की सरकार ने आलू उद्योग के दबाव में 99 हजार स्कूलों में करीब 3 करोड़ बच्चों को दिए जाने वाले नाश्ते का मेनू बदल दिया है। अब बच्चों को सब्जियों और फलों से ज्यादा पिज्जा-बर्गर खाने को दिया जाएगा। इससे पहले का मेनू तत्कालीन फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा के सुझाव पर बनाया गया था। इसमें ध्यान रखा गया था कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में फल-सब्जियां मिलें। यूएसएफडीए ने शुक्रवार को ही इस बारे में आदेश जारी किए हैं। इसी दिन मिशेल ओबामा का जन्मदिन भी था। नए नियमों से बच्चों को दिए जाने वाले फलों-सब्जियों में कटौती की जा सकेगी। फूड कंपनियां इस फैसले से खुश हैं। पर न्यूट्रिशनिस्ट ने इसे गलत ठहराया है। 

 

 

उनका कहना है कि इसके तहत ज्यादा स्टार्च वाले स्नैक्स दिए जाएंगे, इससे बच्चों में मोटापा बढ़ेगा। उधर, कृषि सचिव सोनी पर्ड्यू ने बयान में कहा है कि लंबे समय से स्कूल हमें बता रहे थे कि बच्चों को दिए जाने वाले नाश्ते में लचीलापन रखना जरूरी है। क्योंकि अभी जो दिया जा रहा है, इससे बहुत सारी बर्बादी होती है। बच्चों को पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना मिले, हमने उनकी बात सुनी और इसके आधार पर बदलाव भी किए। इस फैसले के बाद माता-पिता भी विरोध में उतर आए हैं। 

 

 

बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ेगी
लोगों को कहना है कि इतने बड़े बदलाव से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए थी। आजकल ज्यादातर बच्चे और किशोर वजन बढ़ने और मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह फैसला पूरी तरह गलत है। वरिष्ठ विश्लेषक जोनाथन बूचर का कहना है कि स्कूल का लंच और ब्रेकफास्ट प्रोग्राम लंबे समय से विवादों में रहा है। प्लेट में बढ़ती बर्बादी, वित्तीय बोझ बन जाती है। इस पर ध्यान देना चाहिए। वहीं यूएसएफडीए ने बवाल बढ़ता देख इस मामले में 21 जनवरी को नई योजना पर सलाह लेने का फैसला ले लिया है।

 

 

मिशेल की वजह से ही बच्चे सेहतमंद खाना खा रहे: विशेषज्ञ
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ की जूलियाना कोहेन का कहना है कि मिशेल ओबामा के कारण ही बच्चे सेहतमंद खाना खा रहे थे। फूड वेस्ट की समस्या तो पहले भी थी। सिर्फ नियम बदलना इसका समाधान नहीं है। सभी पक्षों को इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए और बच्चों के हित में फैसला लेना चाहिए।

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