नयी दिल्ली। 70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर 22 झांकियों की छटा दिखेगी। इसमें 16 राज्य और छह केंद्रीय मंत्रालय व विभाग अपनी झांकियों के माध्यम से विविधता में एकता का संदेश देंगे। इनमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गोवा, तेलंगाना, मेघालय, आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, असम की झांकियां शामिल हैं।
 
 
दिल्ली कैंट स्थित राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में देशभर से आए कलाकार इन झांकियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नौ सदस्यीय समिति ने विभिन्न मानकों के आधार पर गणतंत्र दिवस के लिए राज्यों की झांकियों का चयन किया है।
 
 
उत्तर प्रदेश : काशी के घाट व बाराबंकी के सूफी अंदाज की झलक
 
उत्तर प्रदेश की झांकी में काशी के घाट व गंगा की निर्मल धारा और बाराबंकी के देवा शरीफ के सूफियाना अंदाज का अहसास होगा। झांकी से सर्वधर्म समभाव का संदेश देने का प्रयास है। झांकी के अगले भाग में शास्त्रीय संगीत से जुड़े वाद्य-यंत्रों को प्रदर्शित किया गया है।

 
काशी की संगीत परंपरा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले प्रख्यात शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिसमिल्ला खां, तबला सम्राट पंडित सामता प्रसाद (गुदई महाराज) और स्वर सम्राज्ञी गिरिजा देवी की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित होंगी। इसके अलावा काशी की संत परंपरा को विशिष्ट पहचान देने वाले संत कबीर और संत रविदास की प्रतिकृतियां होंगी।
 
एनडीआरएफ की झांकी पहली बार बनेगी गणतंत्र दिवस का हिस्सा
 
गणतंत्र दिवस में पहली बार शामिल हो रही एनडीआरएफ की झांकी से दर्शकों को केमिकल, वाइरस हमले सहित जमीन में चार मीटर तक दबे व्यक्ति की पहचान करने वाले उपकरणों की जानकारी दी जाएगी। एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट नरेंद्र चौधरी के मुताबिक, अब एनडीआरएफ के बारे में लोगों को जानकारी होना बेहद जरूरी है। एनडीआरएफ टीम कैसे आपदा के समय काम करती है और किस प्रकार की आपदाओं को संभालने में सक्षम है, इसी के बारे में बताया जाएगा। झांकी में लाइव डिटेक्टर से जमीन के अंदर छह मीटर तक नीचे दबे व्यक्ति के दिल की धड़कनों को सुनने की झलक दिखेगी।
 
हिमाचल प्रदेश : कुल्लू दशहरे की झलक
 
हिमाचल प्रदेश अपनी झांकी के माध्यम से दुनिया को देवभूमि और कुल्लू दशहरे से रूबरू करवाएगा। इसमें 17वीं शताब्दी से प्रचलित कुल्लू दशहरा की झलक पेश की जाएगी। लकड़ी पर तैयार झांकी में कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध रथ मैदान दिखेगा। इसमें तीन से साढ़े तीन सौ देवता भी मौजूद होंगे। राजपथ पर दर्शकों को पारंपरिक वाद्य यंत्र देखने और सुनने को मिलेंगे।
 
जम्मू-कश्मीर : झांकी से घर वापसी का संदेश
 
राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर नए अंदाज से राजपथ पर दर्शकों को डोगरी और कश्मीरी विरासत से रूबरू करवाएगा। इसके अलावा जम्मू के बसोली स्कूल की पारंपरिक पेंटिंग भी देखने को मिलेगी। झांकी बैक टू विलेज थीम पर आधारित है। इसमें एक कोशिश है कि शहरों में रहने वाले गांवों की ओर रुख करें। झांकी के अगले भाग में कश्मीर बुनकर शाल की कढ़ाई करते दिखेंगे। इसमें कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत की झलक मिलेगी।
 
पंजाब : गुरु नानक देव का 550वां प्रकाश पर्व
 
पंजाब की झांकी पहले सिख गुरु गुरु नानक देव जी के मानवीय सिद्धांतों पर आधारित है। झांकी में सिख धर्म के संस्थापक द्वारा किरत करो, नाम जपो और वंड छको के विचारों को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है। झांकी में गुरुद्वारा साहिब को दिखाया गया है। इसमें लंगर सेवा और गुरबानी का गायन दिखेगा। साठ सेकंड में वाहेगुरू शब्द का जाप राजपथ पर बैठे दर्शकों को आध्यात्मिक आनंद की दुनिया में ले जाएगा।

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