मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश को लेकर ऑल इंडिया मुल्सिल पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है. AIMPLB ने कहा है कि मस्जिद के अंदर नमाज अदा करने के लिए महिलाओं के प्रवेश की अनुमति है. AIMPLB ने कहा कि एक मुस्लिम महिला नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश करने के लिए स्वतंत्र है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि किसी एक धर्म की धार्मिक प्रथाओं को पूछताछ करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

 

 

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साथ ही ये भी जोड़ा कि महिलाओं के लिए जमात के साथ नमाज यानी समूह प्रार्थना या सामूहिक प्रार्थना में शामिल होना अनिवार्य नहीं है. बोर्ड ने यह हलफनामा दो मुस्लिम महिलाओं की ओर से दायर याचिका के जवाब में दिया है जो मस्जिद में प्रवेश कर सबके साथ नमाज अदा करना चाहती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी कर याचिका में उठाए गए मुद्दों पर जवाब देने को कहा था.

 

 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का आदेश दिया था. 10 से 50 साल तक की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगी पाबंदी को कोर्ट ने लैंगिक भेदभाव करार दिया था. इसी आधार पर यास्मीन और जुबैर ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर महिलाओं को मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ने की इजाजत की मांग की थी. याचिका के अनुसार, अभी भारत में जमात-ए-इस्लामी संगठन के तहत आने वाली मस्जिदों में महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, लेकिन सुन्नी समेत अन्य पंथों की मस्जिदों में पाबंदी है.

 

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