निर्भया के दोषी मुकेश सिंह के बाद अब एक और दुष्कर्मी विनय शर्मा ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेजी है। दोषी के वकील एपी सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी। विनय की क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही खारिज हो चुकी है। इससे पहले मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। इस फैसले की न्यायिक समीक्षा को लेकर लगाई याचिका सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दी है। अब केवल अक्षय सिंह और पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। डेथ वारंट में दोषियों की फांसी का वक्त 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तय किया गया है। 

 

 

प्रताड़ित होना दया का आधार नहीं हो सकता- सुप्रीम कोर्ट
मुकेश ने दया याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक समीक्षा की मांग को लेकर याचिका लगाई थी। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को मुकेश के मामले में कहा, ‘‘गृह मंत्रालय ने 15 जनवरी को दिल्ली सरकार की ओर से सील बंद लिफाफे में मिले सभी दस्तावेज दया याचिका के साथ राष्ट्रपति के सामने विचार के लिए रखे थे। इसमें निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी शामिल थे। कथित तौर पर प्रताड़ित होना दया का आधार नहीं हो सकता है। दया याचिका पर जल्द फैसला लेने का यह मतलब नहीं कि राष्ट्रपति ने इसमें विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।’’

 

 

मुकेश ने कहा था- जेल में पीटा गया, यौन शोषण हुआ
दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने जस्टिस आर भानुमती, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच से कहा था- यह कदम उठाए जाते वक्त दिमाग लगाए जाने की जरूरत थी। इस पर बेंच ने सवाल किया कि आप यह कैसे कह सकती हैं कि राष्ट्रपति ने ऐसा करते वक्त दिमाग नहीं लगाया। इसके बाद अंजना प्रकाश ने दलील दी कि मुकेश के साथ जेल में बुरा बर्ताव हुआ और उसे पीटा गया। उसके साथ यौन शोषण हुआ। इसका विरोध करते हुए केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा जघन्य अपराध करने वाला जेल में बुरा बर्ताव होने के आधार पर दया का हकदार नहीं हो सकता है।

 

 

चारों दोषियों की मौजूदा स्थिति

मुकेश सिंह के सभी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं।
दोषी पवन गुप्ता के पास अभी दोनों विकल्प क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका बचे हैं।
दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है। दया याचिका का भी विकल्प बचा।
दोषी विनय शर्मा की क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही खारिज हो चुकी है। उसने राष्ट्रपति को दया य़ाचिका भेजी। 

 

 

 

किसी एक की याचिका लंबित रहने तक फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी

जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है, तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में फांसी फिर टल सकती है।

 

 

 

दोषियों के खिलाफ लूट-अपहरण का भी केस

फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का मामला। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।

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