नयी दिल्ली। देश की सुरक्षा में तैनात हमारे सैनिकों कितनी मुश्किलों में अपना गुजारा करते हैं, इसका अंदाजा भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक लेह, लद्दाख, सियाचिन और डोकलाम जैसे ऊंचे व ठंडे क्षेत्रों में दिन रात ड्यूटी पर तैनात भारतीय सैनिकों को जरूरत का सामान नहीं मिल पा रहा है। इन दुर्गम जगहों पर तैनात सैनिकों को बर्फ में चलने के लिए जूते, गर्म कपड़े, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज की गंभीर किल्लत है। जवानों के पास खाने-पीने का जरूरी सामान भी कम है।

CAG की ये रिपोर्ट सोमवार को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई। इस रिपोर्ट में CAG ने इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की स्थापना में हो रही देरी पर भी सवाल उठाए हैं। करगिल रिव्यू कमिटी ने 1999 में ये यूनिवर्सिटी बनाने की सिफारिश की थी।

 
CAG की यह रिपोर्ट 2017-18 के दौरान की है. इससे बताया गया कि सैनिक बेहतर कपड़े और उपकरणों से वंचित रहे. रिपोर्ट के मुताबिक, बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने से उन्हें पुराने जूतों से काम चलाना पड़ा।
 
 
 
जवानों को मिली जरूरत से कम एनर्जी
 
रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि ऊंचे क्षेत्र में सैनिकों को रोजाना जरूरत पड़ने वाली एनर्जी के हिसाब से राशन तय किया जाता है। हालांकि, बेसिक फूड आइटम की किल्लत की वजह से सैनिकों को 82 फीसदी तक कम कैलोरी मिली। लेह की एक घटना का जिक्र करते हुए CAG ने रिपोर्ट में कहा कि यहां से स्पेशल राशन को सैनिकों के लिए जारी हुआ दिखा दिया गया, लेकिन उन्हें हकीकत में ये सामान मिला ही नहीं था।

 
CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना की ईस्टर्न कमांड ने तो ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया, लेकिन नॉर्दन कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के जरिए खरीद की गई। इस वजह से दिक्कतें हुईं।
 
 
सैनिकों की हेल्थ पर पड़ा असर
 
संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए। इससे सैनिक बेहतर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल नहीं कर पाए। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ा। साथ ही इससे सैनिकों की स्वच्छता (हाइजीन) भी प्रभावित हुई।

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