श्रीनगर। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की हिरासत का आधार बताते हुए छह पेज के डोजियर में कहा गया है कि महबूबा अलगाववादियों के साथ काम कर रही थीं। सूत्रों के मुताबिक, इस डोजियर में महबूबा मुफ्ती के अनुच्छेद 370 को रद्द करने से पहले के लिंचिंग व हाईवे रोकने व अन्य ट्वीट शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, यह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का झंडा और दावात व कलम का चिन्ह--1987 के जम्मू-कश्मीर चुनावों के दौरान मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) द्वारा इस्तेमाल किए गए चिन्ह की नकल है।

 

कश्मीर के करीब 50 राजनेताओं को 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को रद्द करने से कुछ दिन पहले हिरासत में लिया गया। इसमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, जिन्हें गिरफ्तारी के बाद जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया है। वरिष्ठ पीआरडी नेताओं नईम अख्तर व सरताज मदनी व नेशनल कान्फ्रेंस के महासचिव अली मुहम्मद सागर को पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है।

 

डोजियर में कहा गया है कि सागर की हिरासत का आधार उनका अनुच्छेद 370 व 35ए के खिलाफ बहुत मुखर होना है। डोजियर में कहा गया, वह युवाओं, विशेष रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ उकसाने में शामिल थे। सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने की उनकी क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह आतंकवाद के दौरान मतदाताओं को संगठित करने व चुनाव बहिष्कार के लिए प्रेरित करने में सफल रहे।

 

आपको बता दें कि महबूबा मुफ्ती व उमर अब्दुल्ला पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनिनय (पीएसए) लगाया गया है। उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन्हें श्रीनगर स्थित आवास पर रखा गया है। उमर को हरि निवास में हिरासत में रखा गया है।

 

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