कर्नाटक के श्रीनिवास गौड़ा (28) ने पिछले दिनों बफेलो रेस (भैंसा दौड़) में 13.62 सेकंड में 142.50 मीटर दूरी तय की। ऐसा कर वह कर्नाटक के पारंपरिक खेल में इतिहास के सबसे तेज धावक बन गए हैं। उन्होंने बफेलो रेस में 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। अब उनकी तुलना दुनिया के सबसे तेज धावक जमैका के उसैन बोल्ट से की जा रही है। बोल्ट के नाम 100 मीटर रेस में 9.58 सेकंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड है।

 

श्रीनिवास दक्षिण कन्नड़ जिले के मूदाबिदरी के रहने वाले हैं। कम्बाला में रिकॉर्ड बनाने के बाद हर तरफ श्रीनिवास की चर्चा है। लोग उनकी स्पीड का आकलन कर रहे हैं। दूरी और समय के हिसाब से 100 मीटर में श्रीनिवास की स्पीड 9.55 सेकंड निकलकर सामने आ रही है, जो बोल्ट से 0.03 सेकंड तेज है। हालांकि, सीधे बोल्ट के रिकॉर्ड से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। क्योंकि श्रीनिवास भैंसों के जोड़े के साथ कीचड़ में दौड़ रहे थे।

 

श्रीनिवास को ओलिंपिक में भेजने की मांग

श्रीनिवास की काबिलियत को देखते हुए सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ओलिंपिक में भेजने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार श्रीनिवास को ट्रेनिंग दिलाने की व्यवस्था करे। जीतने के बाद श्रीनिवास ने कहा कि पारंपरिक खेल में रिकॉर्ड बनाकर मुझे काफी तारीफ मिल रही है। मुझे कम्बाला पसंद है। इसका श्रेय मेरे दोनों भैंसों को जाता है। वे बहुत तेज दौड़े और मैं उनके पीछे लगातार दौड़ता रहा।

 

क्या है कम्बाला रेस?
कम्बाला रेस या बफेलो रेस कर्नाटक का पारंपरिक खेल है। मंगलौर और उडूपी में यह काफी प्रचलित है। कई गांवों में इस खेल का आयोजन होता है। इस दौरान कीचड़ वाले इलाके में युवा जॉकी दो भैंसों के साथ दौड़ लगाते हैं।

 

कम्बाला पर प्रतिबंध की मांग
जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कुछ साल पहले कम्बाला के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनका आरोप था कि जॉकी बल प्रयोग कर तेज दौड़ने के लिए भैंसों को मजबूर करता है। इसके बाद पारंपरिक खेल पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुआई में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस खेल को जारी रखने के लिए बिल पारित कराया था।

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