नयी दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत की गूंज दूसरे राज्यों तक भी सुनी जा सकती है। राजनीतिक विश्लेषक AAP की इस जीत के कई मायने निकाल रहे हैं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में ऐसी भी खबरें जोर पकड़ने लगी हैं कि जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब AAP का दामन थाम सकते हैं।

इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है। ऐसे में प्रशांत किशोर का AAP जॉइन करना बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। बिहार के राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि प्रशांत किशोर ने युवाओं के जरिए और खासकर कन्हैया कुमार जैसे कुछ और युवा चेहरों को आगे कर नीतीश कुमार को मात देने की पूरी तैयारी कर ली है।

प्रशांत किशोर की नई रणनीति में नीतीश कुमार कितने मुश्किल?

प्रशांत किशोर 18 फरवरी को अपने भविष्य के एजेंडा को लेकर बड़ा एलान करने जा रहे हैं। संभावना ही नहीं पूरी उम्मीद है कि प्रशांत किशोर AAP जॉइन कर बिहार में गैरएनडीए और गैरराजद जैसे दलों का बड़ा चेहरा बन सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर से नई करवट लेने जा रही है।

 

सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार मिलकर यह पटकथा लिख रहे हैं, जिसमें कई युवा चेहरे शामिल होने वाले हैं।

 

प्रशांत किशोर ने अपनी पूरी रणनीति अब बिहार और सिर्फ बिहार पर फोकस कर दी है, तो दूसरी तरफ एनडीए बिहार की सत्ता को अपने हाथ से किसी भी कीमत पर निकलने नहीं देना चाहती है। अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एनडीए ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। एनडीए ने भी रणनीति के तहत ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।

 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बिहार का अगला चुनाव नीतीश कुमार के काम पर ही लड़ा जाएगा। एनडीए के पास पीएम मोदी, नीतीश कुमार, अमित शाह, सुशील मोदी और गिरिराज सिंह जैसे बड़े चेहरे होंगे तो प्रशांत किशोर की टीम में कई युवा चेहरे शामिल हो सकते हैं।

 

कन्हैया कुमार की भूमिका क्या होगी!

जानकारों का मानना है कि ऐसी पूरी संभावना है कि कन्हैया कुमार आने वाले कुछ दिनों में या बिहार चुनाव से ठीक पहले प्रशांत किशोर की टीम में जुड़ जाएं। जानकारों का मानना है कि सीएए और एनआरसी के विरोध में कन्हैया कुमार की पूरे बिहार में जो यात्रा चल रही है, उसकी पटकथा प्रशांत किशोर ने ही लिखी है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर एक रणनीति के तहत कन्हैया कुमार को पूरे बिहार में सीएए के विरोध में उतार कर आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिटमस टेस्ट करना चाह रहे हैं।

 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं है, बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक राजनीतिक प्रयोगशाला भी साबित होने जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, 'प्रशांत किशोर ऊंची जाति के हैं और कन्हैया कुमार भी ऊंची जाति के हैं। बिहार में मंडल और कमंडल की राजनीति को दोनों नेता तोड़ने में कितना कामयाब होंगे, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन पिछले कई सालों से दलित और पिछड़ी जातियां ऊंची जातियों पर सवाल उठाती रही हैं। लेकिन, दिल्ली में जिस तरह से अरविंद केजरीवाल को जाति से ऊपर उठ कर वोट पड़े हैं। अगर ऐसा ही वोट बिहार में होता है तो यह ऐतिहासिक होगा। हालांकि, बिहार के लोग जाति से उठ कर वोट करेंगे ऐसी संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।'

पिछड़े और दलितों का वोट किसको मिलेगा?

पांडेय कहते हैं, 'कन्हैया कुमार या प्रशांत किशोर का नेतृत्व पिछड़े और दलित स्वीकार कर पाएंगे, ये भी कहना जल्दबाजी होगा. हालांकि, कन्हैया कुमार को अभी युवा पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों का समर्थन मिलता दिख रहा है, लेकिन यह आगे भी रहेगा उस पर संदेह है. कन्हैया कुमार और प्रशांत किशोर बिहार में मंडल और कमंडल, भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य से मरहूम हो चुके बिहार को निकाल पाएंगे? क्या बिहार में भी डेवलपमेंट मॉडल को पिछड़े और दलित अपना लेंगे? लालू यादव का परिवार अगर बिहार में फिर से चेहरा बनेगा तो एनडीए या नीतीश कुमार को रोकना मुश्किल होगा.'

 

कुल मिलाकर प्रशांत किशोर मंगलवार को बिहार को लेकर बड़ा ऐलान करने जा रहे हैं। जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर 11 फरवरी को अपने राजनीतिक भविष्य का एलान करने वाले थे, लेकिन उसी दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम के कारण अपनी पीसी टालनी पड़ी। मतगणना के दिन प्रशांत किशोर की एक तस्वीर अरविंद केजरीवाल के साथ आई और जिसके बाद यह कयास लगने लगे कि प्रशांत किशोर कुछ बड़ा एलान कर सकते हैं। अरविंद केजरीवाल को तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने में प्रशांत किशोर ने भी भूमिका निभाई। किशोर की कंपनी इंडियन पॉलिटिकल ऐक्शन कमिटी ( I-PAC) ने केजरीवाल के प्रचार में अहम योगदान दिया। 'अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल' जैसे स्लोगन प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज कही जा रही है।

 

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