नयी दिल्ली। इस साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई है। कई चुनावी जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई एलान किए। जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होने के बाद प्रशांत किशोर ने अब अपने अलग रास्ते का एलान किया है, लेकिन वह किसी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत नहीं करेंगे। पीके ने बताया कि ना ही नो किसी गठबंधन का प्रचार करने वाले हैं।

 

प्रशांत किशोर ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई तो हर किसी के मन में सवाल था कि क्या किसी नई पार्टी का एलान होने वाला है? लेकिन प्रशांत किशोर ने इन सभी को गलत साबित किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में उन्होंने कहा, ‘मेरी किसी राजनीतिक दल या गठबंधन को बनाने या फिर उसके प्रचार करने के काम में कोई दिलचस्पी नहीं है’।

 

जानेंगे लोगों की मन की बात

भले ही प्रशांत किशोर ने किसी पार्टी का ऐलान नहीं किया हो लेकिन उन्होंने लोगों की बात जानने का प्लान बनाया है। 20 फरवरी से पीके एक कैंपेन लॉन्च करने जा रहे हैं जिसका नाम होगा ‘बात बिहार की’। इस दौरान बिहार को देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल करने के लिए चर्चा की जाएगी।

 

प्रशांत किशोर ने इस दौरान नीतीश कुमार के विकास मॉडल पर भी सवाल खड़े किए। पीके बोले कि नीतीश कुमार के राज में विकास हुआ है लेकिन आज भी बिहार की स्थिति कई मामलों में 2005 जैसी है। बिहार में बिजली है लेकिन सिर्फ पंखा-बल्ब जल रहा है, सड़क है लेकिन बिहार के लोगों के पास इतनी शक्ति नहीं है कि वो वाहन चलाएं।

 

पहले इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि प्रशांत किशोर किसी पार्टी का एलान कर सकते हैं। या फिर एक नए गठबंधन का एलान कर सकते हैं। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसी कारण हर किसी की नज़र प्रशांत किशोर के एलान पर थी।

 

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर की गिनती मौजूदा दौर के सबसे शानदार चुनावी रणनीतिकार के तौर पर होती है। 2014 में उन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ काम किया, फिर 2015 में नीतीश कुमार के लिए प्रचार किया और हाल ही में दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए मोर्चा संभाला और प्रचंड जीत हासिल की।

 

बता दें कि मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीके के निशाने पर नीतीश कुमार रहे। उन्होंने कहा कि 2004 से पहले वाले जो नीतीश कुमार थे जो बिहार के लिए संघर्ष करते थे उनके लिए उनके मन में सम्मान है, लेकिन आज 16 सांसदों के साथ जो किसी के पिछलग्गू बने हुए हैं वो नीतीश कुमार उनकी पसंद वाले नहीं हैं।

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