नयी दिल्ली। बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है। कहने को तो मुकाबला एनडीए और महागठबंधन में बताया जा रहा है लेकिन इसके इतर कुछ ऐसे सियासी चेहरे हैं जो विधान सभा चुनाव में अपनी अहमियत दिखाने को बेताब हैं और वे सूबे की सियासत को बदल भी सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो वे एनडीए और महागठबंधन को झटका भी दे सकते हैं। ऐसे में कौन हैं वे चेहरे जो सियासी हलचल कर सकते हैं उन पर एक खास रिपोर्ट।

कन्हैया कुमार के जरिए लौटने की कोशिश

वाम दल का वो चेहरा जिसके सहारे बिहार में वाम पंथ फिर से अपने पुराने स्वरूप को पाने की कोशिश में जुटा हुआ है वह है कन्हैया कुमार। कन्हैया बिहार में एनपीआर, एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दे को उठाकर न सिर्फ अपना जनधार बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं बल्कि विरोधियों को भी परेशान कर रखा है। खासकर मुस्लिम वोटरों में कन्हैया की अच्छी पैठ बनती जा रही है। जिससे राजद और जेडीयू भी परेशान हैं।

असदुद्दिन ओवैसी ने बजाई खतरे की घंटी

AIMIM प्रमुख ओवैसी ने बिहार की किशनगंज विधान सभा सीट जीतकर बिहार की सेक्यूलर पार्टियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। ओवैसी की पार्टी ने घोषणा कर रखी है कि बिहार के सीमांचल में पूरी मुस्तैदी से AIMIM अपने उम्मीदवार उतारेगी। यदि किसी ने गठबंधन नहीं किया तो पूरे बिहार में उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रखी है। बिहार चुनाव में भी ओवैसी कई रैलियों को करने की तैयारी में है। मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी की लोकप्रियता कई पार्टियों को नुकसान पहुंचा सकती है।

पप्पू यादव भी खड़ी कर रहे हैं परेशानी

जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव लोक सभा चुनाव हारने के बाद से लगातार बिहार में सक्रिय हैं।  लगातार कई जिलो में घूम कर अपनी पार्टी की जमीन बनाने में जुटे हुए हैं। एनआरसी, सीएए जैसे मुद्दे के बहाने मुस्लिम और यादव बहुल इलाकों में वे विरोधियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। खासकर कोशी और सीमांचल जैसे इलाकों में थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश में लगातार प्रयास कर रहे हैं जो महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

एनडीए को शिकस्त देने में जुटे हैं पीके

जेडीयू से निकाले जाने के बाद से ही प्रशांत किशोर लगातार इस कोशिश में हैं कि वे कैसे बिहार में एनडीए को शिकस्त दें। बात बिहार की के नाम पर उनकी संस्‍था आई पैक लगातार युवाओं को जोड़ने में लगी है। इसके साथ ही वे महागठबंधन के घटक दलों के कुछ नेताओं के साथ बैठक कर राजद पर भी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं बिहार में एक मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश भी वे अंदर ही अंदर कर रहे हैं।

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