विश्व एक क्रूर स्थान हो सकता है। क्रूरता विशेष रूप से गहरा है, जब प्राप्त करने वाला अंत में उस पर मजबूर दुख को समझ नहीं सकता है। और भगवान न करे अगर किसी बच्चे को इससे गुजरना पड़े।

 

एक बच्चे की माँ उसकी पूरी दुनिया होती है। इस तरह के बंधन का नुकसान एक बड़ा झटका हो सकता है।

 

 


एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। इसमें एक महिला को जमीन पर लेटा देखा जा सकता है। एक बच्चा, अपनी मां को उठाने की कोशिश कर रहा है। जगह रेलवे स्टेशन लगती है और घोषणाओं को पृष्ठभूमि में सुना जा सकता है। बच्चा परेशान और रोता हुआ दिखाई देता है। उसे क्या पता कि उसकी माँ कभी नहीं उठेगी। वह मर गयी हैं।

 

 

 

बिहार के मुजफ़्फ़रपुर स्टेशन पर गहरी नींद में सोई मां के साथ खेल रहे इस बच्चे को नहीं मालूम कि उसकी मां अब हमेशा के लिये सो गई है। उसे नहीं मालूम कि हर दिन मां जिस चादर को ओढ़ कर सोती है वो अब उसका कफ़न बन चुका है। चादर खींचने पर भी मां की झिड़की नहीं मिलने पर वो शायद हैरान भी होगा लेकिन हकीकत तो अब यही है कि अब वो चादर खींचेगा भी तो माँ उठकर डाँटेगी नहीं।..कुछ नहीं बोलेगी...ना डाँटेगी, न पीछे पीछे दौड़ेगी..ना दुलारेगी, ना पुचकारेगी, ना जबरन खिलाएगी...आज सब कुछ छिन गया है उसका.. लेकिन बच्चे के पिता को कोरोना की वजह से पहले से ही अपनी उजड़ी हुई दुनिया के और बिखड़ने का पूरा एहसास है। पिता ने बताया कि ट्रेन में भीषण गर्मी में गुजरात से शुरू हुए 4 दिन के लंबे सफर ने मेरी पत्नी की जान ले ली, अब इसे लेकर अपने घर कटिहार कैसे जाऊंगा।

 

 

 


इस महिला की ही तरह पिछले दो दिनों में सिर्फ बिहार में ट्रेन में 5 लोग दम तोड़ चुके हैं। आज भागलपुर, बरौनी और अररिया स्टेशन पर एक- एक व्यक्ति की मौत भी इसी तरह हुई। कल मुजफ़्फ़रपुर स्टेशन पर डेढ़ साल के बेटे का शव गोद मे लिए पिता ने बताया कि ट्रेन में 4 दिन तक पत्नी को खाना नहीं मिला तो दूध नहीं उतरा, बच्चा भी भूखा रह गया, ऊपर से भीषण गर्मी। रास्ते मे ही तबियत बिगड़ी और यहां आते आते मौत हो गयी। इसी तरह मुम्बई से सीतामढ़ी आ रहे एक परिवार में भी एक बच्चे की मौत कानपुर में हो गयी।

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