देश के 17वीं लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद तय समय के अनुसार आज यानि 23 मई को इसका फाइनल रिजल्ट घोषित किया जा रहा है, ये भी बताते चलें कि इस चुनाव में 542 सीटों के लिए सात चरणों में वोटिंग हुई जिसके बाद आज उन वोटों की मतगणना सुबह आठ बजे से ही शुरू हो चुकी है। 

ये बात भी सच है कि इस चुनाव प्रक्रिया के खत्म होने के बाद जैसे ही एग्जिट पोल आए उसके बाद से चुनाव आयोग व EVM को लेकर कई सारे सवाल उठाए जाने लगे। जो कि बेहद ही अपमानजक हैं क्योंकि ऐसे सवाल उठाकर लोग जनादेश का अपमान कर रहे हैं और इससे हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को खतरा हो सकता है। इन सभी मतभेदों के उत्पन्न होने के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल आने लगे कि आखिर चुनाव आयोग में मतगणना की प्रक्रिया क्या होती है, तो आज हम आपको इस सवाल का जवाब देने जा रहे हैं। 

सबसे पहले तो ये जान लें कि इस बार अपने देश में सरकार के चुनाव के लिए पहली बार वीवीपैट (वोटर वेरिफियेबल पेपरऑडिट ट्रायल) का प्रयोग किया गया जिसी वजह से मतगणना में थोड़ा ज्यादा वक्त भी लग सकता है। 

वहीं ये भी बताते चले कि EVM मशीन की सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग बेहद ही ज्यादा सख्त होता है, इसलिए इससे छेड़छाड़ करना असंभव है।

मतगणना की प्रक्रिया 

चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले रिटर्निंग अफ़सर और उनके सहयोगी सभी के सामने वोटों को लेकर गोपनियता बरते रखने की शपथ लेते हैं। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर के सामने ही सारे EVM मशीनों की जांच की जाती है। 

इसके बावजूद अगर किसी भी राजनीतिक पार्टी को चुनाव आयोग के इस मतगणना प्रक्रिया से आपत्ति है तो वह चाहे तो काउंटिंग एजेंटों के साथ मतगणना केंद्रों में मौजूद रह सकता है। ताकि वो खुद भी अपनी आंखो से वोटों की गिनती को देख सके।

इस प्रक्रिया में सबसे पहले तो पोस्टल पत्रों की गणना की जाती है और फिर इसके समाप्त होने पर EVM की गणना शुरू की जाती है। 

EVM मशीन द्वारा पड़े मतों की गिनती के लिए हर केंद्र के अनुसार एक-एक करके EVM को ऑन किया जाता है और उसमें पड़े सभी वोटों को और फिर अलग-अलग राजनीतिक पार्टीयों के मिले वोटों को नोट किया जाता है इसके बाद सभी को जोड़ दिया जाता है। 
इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद निश्चित हो जाता है कि आखिर किस पार्टी को किस जगह से सबसे ज्यादा वोट मिलें और कुल मिलाकर किसे कितना बहुमत प्राप्त हुआ। 


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