पटना। लोकसभा चुनाव के परिणामों में आई 'मोदी सुनामी' बिहार को भी ले उड़ी। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने साथ आकर बिहार में महागठबंधन की सोशल इंजिनियरिंग को रौंद डाला। बीजेपी नीत एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज कर लगभग क्लीन स्वीप कर लिया।

इस बार के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने लालू प्रसाद की आरजेडी, RLSP, हम (एस) और वीआईपी पार्टियों के महागठबंधन का सफाया कर दिया। कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट को जीतकर महागठबंधन का खाता खोल दिया। बिहार की कुल 40 सीटों में से आरजेडी ने 19 सीटों, कांग्रेस ने 9 सीटों, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी ने 5 सीटों, जीतनराम मांझी की अगुवाई वाली हम (एस) और मुकेश साहनी की अगुवाई वाली वीआईपी ने 3-3 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। महागठबंधन ने आरा लोकसभा की एकमात्र सीट सीपीआई (एमएल) के लिए छोड़ दिया था, जहां भी उसे हार ही मिली।

40 में से 39 पर एनडीए, 1 पर कांग्रेस, RJD को 0
वहीं बिहार में विजेता बनकर उभरी एनडीए की तरफ से बीजेपी और जेडी (यू) ने 17-17 सीटों पर जीत दर्ज की। राम विलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी ने बाकी बची 6 सीटों पर जीत दर्ज की। बिहार और एलजेपी ने जहां सभी सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं जेडीयू केवल एक सीट पर हारी। बात अगर 2014 में हुए पिछले लोकसभा चुनावों की करें तो बीजेपी और एलजेपी की एनडीए ने 31 सीटें जीती। आरजेडी-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के खाते में 7 सीटें आई थीं। वहीं अकेले लड़ रही जेडी (यू) को 2 सीटें मिली थी।

इस जीत के बाद बिहार की जनता का धन्यवाद करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा, 'हमने केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में हमारे द्वारा किए कामों के आधार पर वोट मांगा। जिस तरह से लोगों ने हमें वोट दिया है, उससे हमारी प्रतिबद्धता और भी ज्यादा बढ़ गई है। हम बिहार के विकास के लिए काम जारी रखेंगे।' केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल होने के सवाल पर नीतीश ने कहा, 'यह सरकार चला रहे लोगों के विवेक पर निर्भर करता है कि वे कैबिनेट में किसको शामिल करना चाहते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'

नीतीश ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने पर कहा, 'दो दिन पहले हुई एनडीए की बैठक में मैंने इस बात पर जोर दिया था कि विकास के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है। मैंने बिहार जैसे राज्यों के विकास और महिला सशक्तिकरण की बात रखी, जिस पर पीएम मोदी ने भी सहमति जताई।

''बिहार के लोगों ने मजबूत सरकार, विकास और राष्ट्रवाद को चुना'
राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे राष्ट्रवाद और विकास की जीत करार दिया है। समाजविज्ञानी और पटना कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल नवल किशोर चौधरी ने कहा, 'रिजल्ट से साफ पता चलता है कि बिहार के लोगों ने केंद्र में मजबूत सरकार, विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वोट दिया है। वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन 2015 का प्रदर्शन दोहराने में नाकामयाब रहा। उसका पूरा फोकस केवल पिछड़े वोटर्स पर ही रहा। महागठबंधन की अंदरुनी कलह, सीट शेयरिंग में उलझन के साथ ही मधुबनी और सुपौल में विद्रोह को रोकने में असफलता ही पराजय का कारण बनी।'


మరింత సమాచారం తెలుసుకోండి: