हमारे देश के युवाओं के लिए रोजगार एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है यही नहीं इससे निपटने के लिए सरकार अब कड़ी कदम उठाने जा रही है। आपको बताते चलें कि बेरोजगारी को लेकर कई सारे युवाओं ने मोर्चे भी खोले हैं। दरअसल आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने एक नया आर्थिक सर्वे कराने का फैसला किया है जिसमें सरकार के प्रयास से रोजगार के ‘सही’ आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। क्योंकि इस सर्वे के जरिए पता चलेगा कि कितने लोग बेरोजगार है। खास बात तो यह है कि इस सर्वे में सभी बेरोजगार व्यक्तियों के साथ चाय, पकौड़े जैसे छोटे-छोटे स्टॉल वालों को भी सम्मिलित किया गया है। वहीं आपको ये भी बता दें कि सरकार स्वरोजगार की गिनती कर नौकरी के आंकड़ों को बढ़ाना चाहती है, यही कारण है कि इस सर्वे में हर उस शख्स को शामिल किया जाएगा जो किसी न किसी काम धंधे में लगा हुआ है।

इस सर्वे का कराने का मकसद ये था कि सरकार इसके जरिए कमजोर अर्थव्यवस्था के सवाल पर विपक्ष को जोरदार जवाद देने जा रही है। अब अगर बात करें आंकड़ो की तो मोदी सरकार के कार्यकाल शुरू होने के तुरंत बाद नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की तरफ से बेरोजगारी लोगों को लेकर आंकड़ा पेश किया गया था जिसकी वजह से सरकार की चिंता को बढ़ गई थी और उसमें साल 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी बताई गई है। यानि की ये सर्वे के अनुसार अब तक के 45 सालों में सबसे अधिक है।

अब इस समस्या पर गंभीरता से विचार करते हुए पीएम मोदी ने दो कैबिनेट समितियों का गठन किया है, जिसमें आर्थिक वृद्धि और निवेश व रोजगार और कौशल विकास है। इस समितियों अमित शाह के साथ कुल 10 सदस्य शामिल है और हर कोई अपने-अपने सेक्टर की विकास दर और रोजगार के आंकड़ो को पीएमओ को देंगे।

ये सब करने के पीछे सरकार का एक मात्र उद्देश्य ये है कि देश में बेरोजगारी की तस्वीर थोड़ी सुधर सके और इसके लिए 12 करोड़ सर्वेयरों की मदद ली जाएगी। सरकार की तरफ से इन लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें 27 करोड़ परिवारों के साथ ही 7 करोड़ प्रतिष्ठानों की आर्थिक स्थिति का निर्धारण किया जाएगा। इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि यह सर्वे के जून माह के अंत तक शुरू होने का अनुमान है। इसकी रिपोर्ट 6 महीने के भीतर सामने आ जाएगी। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) और सू्क्ष्म व लघु व मझोले उद्योग विभाग के अधिकारी इन आंकड़ों का मूल्यांकन करेंगे।


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