प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हासिल कर दुबारा से सत्ता में आने के बाद लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी इन दिनों अपनी पहली यात्रा पर हैं। बताते चलें की प्रधानमंत्री आज शनिवार को केरल पहुंचे हैं और पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी केरल के त्रिसूर आए हुए है। असल में आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की पीएम ने आज यहां पर प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर में विशेष पूजा की और फिर इसके बाद पीएम मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री के दौरे के कारण शहर में सुरक्षा के काफी कड़े प्रबंध किए गए थे, पीएम मोदी के पूजा करने के दौरान आम जनता के लिए मंदिर का द्वार सुबह 9 से 11 बजे के बीच बंद कर दिया गया था। इस दौरान पीएम मोदी का भव्य स्वागत भी किया गया। पुजा के दौरान पीएम ने थुलाभारम रस्‍म अदा करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने 112 किलो कमल के फूलों का इंतेजाम किया था जिससे प्रधानमंत्री को तौला भी गया।


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इसके पहले भी नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2008 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए केरल के इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी और उस दौरान भी उन्होंने थुलाभारम रस्म अदा की थी। केरल के त्रिसूर में स्थित गुरुवायूर मंदिर बेहद ही प्राचीन मंदिर है जिसके गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित है। अपने केरल दौरे के लिए पीएम मोदी शुक्रवार रात ही कोच्चि पहुंच गए थे। जहां पर वो एर्नाकुलम गेस्ट हाउस में ठहरे थे। आपको यह भी बताते चलें की मंदिर में दर्शन और जनसभा को संबोधित करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हावई अड्डे से दिल्ली के लिए दोपहर 2 बजे रवाना हो जाएंगे। अपने आगे के तय कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी आज ही प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए मालदीव और श्रीलंका यात्रा के लिए रवाना हो जाएंगे। बीजेपी की प्रदेश इकाई ने पीएम मोदी की अगवाई के तहत ट्वीट कर बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ जून को गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर में पूजा करेंगे। इसके बाद पीएम की गुरुवायूर श्रीकृष्ण एचएस मैदान में सुबह आम सभा होगी। यहाँ सभी का स्वागत है। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये है की प्रधानमंत्री का यह केरल दौरा ऐसे समय पर है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।


5000 वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास


गुरुवायूर मंदिर का इतिहास तकरीबन 5000 साल पुराना है, बताया जाता है की सन 1638 में इसके कुछ भाग का पुनर्निमाण किया गया था। जैसा की कहा जाता है की इस मंदिर में सिर्फ हिंदू धर्म के लोग ही पूजा कर सकते हैं, अन्य किसी धर्म के लोगों के लिए इस मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित है।

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