आज हर तरफ पीएम मोदी के बिश्केक जाने की खबर ही चल रही है, भारतीय समयानुसार दोपहर तक पीएम मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंच जाएंगे। चीन के किंगदाओ में आयोजित हो रहे शंघाई सहयोग संगठन यानि (एससीओ) (Shanghai Cooperation Organisation) के सम्मेलन में भारत पूर्ण सदस्य के रूप में भाग ले रहा है। अब यह कहा जा रहा है कि यहां जाने के लिए पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का रास्ता त्यागकर नए रास्ते को अपनाया है जो कि ओमान, ईरान और सेंट्रल एशियन देशों से होते हुए वहां जाएगा। अब लेकिन कई लोगों के जहन में यह भी सवाल उठ रहा है कि आखिर यह एससीओ (SCO) है क्या? पीएम मोदी (PM Modi) का इसमें शामिल होना कितना आवश्यक है? और है भी तो आखिर क्यों ?
क्या है शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
सबसे पहले तो बता दें कि 1946 में इस संगठन (SCO summit) का निर्माण हुआ था जिस दौरान इसमें कुल 5 देश शामिल थें चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान इसलिए उस समय इसे शंघाई 5 के नाम से भी जाना जाता था। लेकिन साल 2015 में भारत ने इसमें सदस्यता लेने में दिलचस्पी दिखाई थी जिसके बाद रूस के सहयोग से साल 2017 में भारत (India) को पूर्ण रूप से इसका सदस्य बना लिया गया। इसी दौरान चीन ने इस संगठन में पाकिस्तान (Pakistan) को भी शामिल कर लिया। फिल्हाल की बात करें तो इस संगठन में अब कुल आठ देश शामिल हो गए हैं जिसमें उन 7 देशों के अलावा उज़्बेकिस्तान को भी शामिल कर लिया गया है। और तो और इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश को भी रखा गया है- अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं। इस संगठन के निर्माण का सबसे महत्पूर्ण उद्देश्य है सदस्य देशों के बीच सुरक्षा बढ़ाना ताकि आतंकी घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके, IS आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए व इन देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए बनाया गया था। यह भी बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन का मुख्यालय चीन के बीजिंग में है।