इंसान हर हफ्ते 5 ग्राम यानी एक क्रेडिट कार्ड जितना प्लास्टिक निगलता है, इसका सबसे बड़ा स्रोत पीने का पानी है। बोतलबंद पानी, नल, सतह के और भूमिगत जल में प्लास्टिक के कण पाए जाते हैं। यह दावा वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की रिपोर्ट में किया गया है। पहली बार किसी रिपोर्ट में इंसान के शरीर में पहुंच रहे प्लास्टिक का अनुमान लगाया गया है।  

शैलफिश भी शरीर में प्लास्टिक के कण पहुंचने का दूसरा बड़ा कारण

यह शोध ऑस्ट्रेलिया की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी ने किया है। शोध के मुताबिक, पानी में प्लास्टिक पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है। इंसानों के शरीर में पहुंचने वाले प्लास्टिक का एक और कारण शैलफिश हैं। ये समुद्र में रहती हैं और इन्हें खाने पर प्लास्टिक शरीर में पहुंचता है।

प्लास्टिक का एक तिहाई हिस्सा प्रकृति को बना रहा जहरीला

रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ पानी से ही इंसान में हर हफ्ते प्लास्टिक के 1769 कण पहुंच रहे हैं। दुनियाभर में 2000 से लेकर अब तक (19 साल) प्लास्टिक का इतना ज्यादा निर्माण किया जा चुका है, जितना इससे पहले कुल हुआ होगा। इसका तिहाई हिस्सा प्रकृति में फैलकर उसे प्रदूषित कर रहा है।

दुनियाभर में हुई 52 शोधों के मुताबिक, प्लास्टिक की मात्रा विश्व के कई हिस्सों में अलग-अलग मिली है। यह सबसे ज्यादा कहां से आ रही है, इसका पता नहीं लगाया जा सका। अमेरिका में नल के पानी में 94.4% प्लास्टिक फाइबर मिले हैं। करीब एक लीटर में 9.6 फाइबर पाए गए। यूरोपियन देशों का पानी कम प्रदूषित है। यहां के पानी में  72.2% फाइबर मिला है। एक लीटर में 7.2 फाइबर पाए गए।

प्लास्टिक की उत्पत्ति पर रोक लगाना जरूरी

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर की डायरेक्टर कविता प्रकाश मणि के मुताबिक, प्लास्टिक पॉल्यूशन को रोकने के साथ इसकी उत्पत्ति वाले स्थानों को पहचानकर रोक लगाना बेहद जरूरी है। प्रदूषण के खिलाफ ऑनलाइन अभियान चला रहा है प्लास्टिक डाइट कैंपेन वेबसाइट के मु़ताबिक, इसे रोकने के लिए व्यापार, सरकार और लोगों तीनों को मिलकर काम करना होगा। 





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