लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली पार्टी बीजेपी के तेवर अब पश्चिम बंगाल के लिए बदलते नजर आ रहे है और बदले भी क्यों न बंगाल में राजनीतिक हिंसा की चिंगारी बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। पश्चिम बंगाल में ममता दीदी के राज में लोकतंत्र की हत्या खुले आम हो रही है, ऐसे में लोगों का आक्रमक होना जायज है। आये दिन सुर्खियों में बना रहने वाले पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव के हर चरण में जमकर हिंसा हुई है, आज स्थिति यह हो चुकी है की ममता बनर्जी के राज में लोग सुरक्षित नहीं है।


इस बार पश्चिम बंगाल पर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का खतरा मडरा रहा है। बंगाल में चल रही सियासी हिंसा से अब फिर से टीएमसी-बीजेपी में जंग तेज हो गयी है। बता दे कि इससे पहले भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय समेत बीजेपी के तमाम दिग्गज ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की राजनीतिक हत्या का आरोप लगा चुके है। हाल ही में बंगाल में हुई बमबारी में नॉर्थ 24 परगना जिले के भाटापारा में 2 टीएमसी कार्यकर्ताओं की जान चली गयी। इस हिंसा से राजनितिक गलियारों में हलचल मच गयी है। भाटापारा में कुछ अज्ञात लोगों ने अचानक बमबारी कर दी जिसमें मोहम्मद हलीम और मोहम्मद मुख्तार नाम के दो लोगों जान धो बैठे तो वहीँ 5 लोगों के घायल होने की खबर सामने आयी है, देर रात हुई इस बमबारी से पूरा इलाके में हड़कंप मच गया था।


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पश्चिम बंगाल में हुई इस घटना पर हिटलर दीदी यानी ममता बनर्जी हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि बीजेपी के कार्यकर्ता उनके  लोगों की हत्या करवा रहें है। टीएमसी-बीजेपी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में लगातार जारी हिंसा को देखते हुए कहा था कि प्रदेश की ममता सरकार नागरिकों में विश्वास बनाए रखने को लेकर विफल हो गई है। बता दें कि बंगाल में चल रही खुनी हिंसा के चलते अब राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से राज्य के ताजा हालात को लेकर रिपोर्ट भी मांगी गई है। हाल ही में हुई राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के कयास लगाए जा रहे है। दरअसल किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाता है जब वहां कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाती है। तब प्रदेश के राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार अनुच्छेद– 356 का प्रयोग कर उस प्रदेश की सरकार को हटा कर राष्ट्रपति शासन लगा सकती है।

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