लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की जीत के बाद कल सोमवार से 17वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र शुरू होहो चुका है और कल सुबह ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भारतीय जनता पार्टी के सांसद वीरेंद्र कुमार को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। मध्यप्रदेश की टीकमगढ़ लोकसभा सीट भाजपा सांसद डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने प्रोटेम स्पीकर के तौर पर शपथ ली है। 17वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र शुरू हो गया है जो 26 जुलाई तक चलेगा, इससे अलावा आपको यह भी बताते चलें की भाजपा सांसद डॉक्टर वीरेंद्र कुमार सात बार सांसद रह चुके हैं।


बता दें अब डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ही नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलवाएंगे, और इस सिलसिले में कल सोमवार को सबसे पहले लोकसभा सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ लिया और उसके बाद अन्य सभी 542 सांसदों को शपथ दिलाई गयी। टीकमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए डॉक्टर वीरेंद्र कुमार चार बार टीकमगढ़ लोकसभा और तीन बार सागर सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 27 फरवरी 1954 को मध्य प्रदेश के सागर जिले में जन्मे वीरेंद्र कुमार 1996 में पहली बार संसदीय सीट से सांसद चुने गए थे। दरअसल टीकमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने वीरेंद्र कुमार ने 3.48 लाख वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी किरण अहिरवार को हराया था।


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काफी कठिनाइयों में बिता है वीरेंद्र कुमार का जीवन


वीरेंद्र कुमार की शख्सियत भी बहुत उम्दा है जिसकी तारीफ सभी करते है, वीरेंद्र कुमार बहुत ही मेहनती इंसान है जिन्होंने मुश्किल समय में भी हार नहीं मानी और आज इस मुकाम पर पहुंच गए है जहां उन्हें सभी लोग जानते है और उनका सम्मान करते है। वीरेंद्र कुमार अपने पिता के साथ साइकिल की दुकान पर उनका हाथ बटाते थे और अपनी पढ़ाई भी करते थे। बता दें कि वीरेंद्र कुमार बे अर्थशास्त्र में एमए और बाल श्रम संबंधी विषय पर पीएचडी की है। पढ़ाई पूरी कर वह सक्रिय कार्यकर्ता और पदाधिकारी के रूप में कई सालों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा रहे। सरल स्वभाव के वीरेंद्र को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद सहित भाजपा में विभिन्न पदों पर डॉक्टर वीरेंद्र कुमार रह चुके हैं। दरअसल कार्यवाहक और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर होते हैं और प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें। सदन में जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों का पद खाली हो जाता है तब प्रोटेम स्पीकर की आवश्यकता पड़ती है।

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