17वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र शुरू हो चूका है और सभी सांसदों को शपथ भी दिलाई जा चुकी है। हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भारतीय जनता पार्टी के सांसद वीरेंद्र कुमार को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। 17वीं लोकसभा का सत्र शुरू होते ही बहुत सी खबरें सामने आ रही है जो सुर्खियों में छायी हुई है। बता दें कि 17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिड़ला का संसद भवन के अंदर धार्मिक नारों को लेकर एक बयान सामने आया है। अपने इस बयान में उन्होंने साफ कर दिया है कि वह संसद भवन के अंदर धार्मिक नारों को लगाने की इजाजत नहीं देंगे।


दरअसल शपथ ग्रहण के समय पूरा संसद भवन धार्मिक नारों से गूंज उठा था जिसके बाद अब नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि संसद नारे लगाने, प्लेकार्ड दिखाने या वेल में आने वाली जगह है। इसके लिए एक जगह है जहां वह जाकर प्रदर्शन कर सकते हैं। लोग कुछ भी कहना चाहते हैं, जो भी आरोप लगाना चाहते हैं, चाहे वह सरकार पर हमला करना चाहते हैं तो वह कर सकते हैं लेकिन उन्हें गैलरी में आकर यह सब नहीं करना चाहिए।'


Image result for लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला


संसद भवन में धार्मिक नारेबाजी से नाराज अध्यक्ष ओम बिड़ला से पूछा गया कि क्या अब इस तरह की नारेबाजी दोबारा नहीं होगी तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि 'मुझे नहीं पता कि ऐसा होगा या नहीं लेकिन मैं नियमों के हिसाब से संसद में काम करूंगा। जय श्रीराम, जय भारत, वंदे मातरम् के नारे एक पुराने मुद्दे हैं। बहस के दौरान यह अलग होते हैं। हर बार अलग परिस्थितियां होती हैं। परिस्थितियां क्या हैं इसका निर्णय अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति द्वारा किया जाता है।'


आपको बता दें कि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में शपथ लेने के बाद अल्लाह- हू-अकबर का नारा लगाया था तो वहीं राधे राधे और कृष्णम वंदे जगत गुरु का नारा हेमा मालिनी शपथ लेने के बाद लगती दिखीं। नारेबाजी में कोई किसी से पीछे नहीं रहा, बसपा सदस्यों ने जय भीम और सपा के सदस्यों ने जय समाजवाद के नारे संसद में लगाए। नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर अपना जवाब देते हुए कहा कि 'मैं इसे लेकर स्पष्ट हूं। संसद लोकतंत्र का मंदिर है। इस मंदिर को संसद के नियमों के जरिए चलाया जाता है। मैंने सभी पक्षों से अनुरोध किया है कि हमें जितना हो सके इस स्थान की शोभा को बनाए रखना चाहिए। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। हर कोई हमारी तरफ देखता है। ठीक इसी तरह हमारी संसदीय प्रक्रियाओं को भी दुनिया भर में एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए।' अधीर रंजन चौधरी ने अपने अपने स्वागत भाषण में नारेबाजी का उल्लेख करते हुए कहा था कि 'मुझे नहीं लगता कि यह बहुदलीय लोकतंत्र की भावना का हिस्सा है।'

మరింత సమాచారం తెలుసుకోండి: