अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाए। अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खम्नेई और उनकी सेना के आठ शीर्ष सैन्य कमांडर अमेरिका में वित्तीय सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे। ट्रम्प ने यह फैसला बीते बुधवार को ईरान के द्वारा अमेरिकी जासूसी ड्रोन मार गिराने के बाद लिया। इससे पहले ट्रम्प ने शुक्रवार को ईरान पर हमला करने के भी आदेश दिए थे। लेकिन, 10 मिनट पहले आदेश वापस ले लिया था।



ट्रम्प ने ट्रेजरी सचिव स्टीवन मेनुचिन की उपस्थिति में प्रतिबंध लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम ईरान को कभी परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे। हमने अब तक इस मामले में काफी संयम दिखाया, लेकिन आगे ईरान पर दबाव बनाए रखेंगे। जब ट्रम्प से पूछा गया कि क्या यह कदम ईरान के हमले का जवाब है, इस पर उन्होंने हां में जवाब दिया और कहा कि यह तो होना ही था। मैं कुछ ऐसे ईरानियों को जानता हूं, जो न्यूयॉर्क में रहते हैं और अच्छे लोग हैं।



अमेरिका ने कई बार ईरान पर साइबर अटैक किए

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने पिछले दिनों ईरान के मिसाइल कंट्रोल सिस्टम और जासूसी नेटवर्क पर कई बार साइबर हमले किए। इससे पहले ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा था- ''ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते! ओबामा की खतरनाक योजना के तहत वे बहुत ही कम सालों में न्यूक्लियर के रास्ते पर आ गए। अब बगैर जांच के यह स्वीकार्य नहीं होगा। हम सोमवार से ईरान पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब ईरान से प्रतिबंध हट जाएंगे और वह फिर से एक समृद्ध राष्ट्र बन जाएगा।''



ईरान ने कहा- कभी अमेरिका के आगे नहीं झुकेंगे

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत माजिद तख्त रवांची ने सोमवार को कहा कि अमेरिका जब तक ईरान को प्रतिबंधों के दबाव की धमकी देता रहेगा, ईरान उसके साथ वार्ता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम दबाव के आगे झुकने वाले नहीं है। अमेरिका ने एक बार फिर ईरान पर दबाव डाला है। उसने हम पर और प्रतिबंध लगाए हैं। जब तक उसकी यह रणनीति रहेगी तब तक ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत नहीं हो सकती।”



‘ईरान पर प्रतिबंध उसकी शत्रुता की ओर इशारा करता है’

रवांची ने कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए नए प्रतिबंध पश्चिमी एशियाई देश के प्रति उसकी शत्रुतापूर्ण रवैये को दर्शाता है। अमेरिका का यह फैसला ईरान के लोगों और वहां के नेताओं के प्रति उसकी शत्रुता का प्रतीक है। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानून-व्यवस्था का सम्मान नहीं करता है।


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