कांग्रेस को लोकसभा में मिली करारी शिकस्त की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। हालांकि उनके इस्तीफे को पार्टी नेताओं ने स्वीकार नहीं किया है लेकिन वह इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी बीच वह दोबारा संगठन के काम से जुड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। गुरुवार को गांधी हरियाणा की एक रैली को संबोधित करेंगे। इसके अलावा जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनके वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।


सूत्रों ने कहा, 'हरियाणा की राज्य समन्वय समिति के साथ अपने आवास पर बैठक करने के बाद राहुल ने गुरुवार को महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है।' उन्होंने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को समीक्षा बैठक के लिए शुक्रवार को बुलाया है। यह सारी बातचीत और मुलाकात ऐसे समय पर की जा रही हैं जब राहुल ने आधिकारिक तौर पर अपने इस्तीफे को लेकर एक शब्द नहीं कहा है। 



पार्टी के अंदर मौजूद कुछ लोगों ने उनके अध्यक्ष न रहने पर दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया था। वहीं जिस तरह से राहुल नेताओं से मुलाकात करने के लिए तैयार हैं उससे माना जा रहा है कि वह बतौर अध्यक्ष अपने काम की शुरुआत कर रहे हैं। राहुल ने 25 मई को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पद से इस्तीफा दिया था। इस दौरान उन्होंने सहयोगियों के साथ बातचीत करने और बैठकों से दूरी बना ली थी। यहां तक कि वह विदेश यात्रा पर भी नहीं गए। 



बीते गुरुवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस्तीफे की घोषणा के बाद राहुल से पहली बार मुलाकात की। अब हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र के नेताओं से बातचीत इस बात का इशारा है कि सबकुछ पटरी पर लौट आया है। अंदरुनी लोगों का कहना है कि एक तरफ जहां राहुल इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। वहीं कांग्रेस के प्रबंधक उन्हें पद पर रहने के लिए मनाने पर लगे हुए हैं। 



पार्टी में फिलहाल अध्यक्ष पद को लेकर कोई स्पष्टता दिखाई नहीं दे रही हैं। हालांकि राहुल का हरियाणा समिति से मुलाकात करना एक असामान्य हस्तक्षेप है क्योंकि इस समिति का प्रतिनिधित्व पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद करते हैं। राज्य की इस इकाई में बहुत गुटबाजी है। माना जा रहा है कि राहुल की बैठक के बाद इस इकाई में अनुशासन और व्यवहार आएगा।

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