कांग्रेस का नया अध्यक्ष जल्द ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाकर चुना जाएगा, नये अध्यक्ष को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच लगातार कवायद जारी है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद नया अध्यक्ष कौन हो जो पार्टी को संभाल सके और देश की सबसे पुरानी पार्टी की खोई हुई ज़मीन को वापस दिला सके, इसे लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं।



पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में अब तक मोतीलाल वोरा, सुशील शिंदे, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक जैसे नेताओं का नाम सामने आ चुका है, उधर दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह की तरफ से किसी युवा चेहरे को पार्टी के हित के लिये कमान सौंपे जाने की मांग के बाद सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य, मिलिंद देवड़ा, सुष्मिता देव का भी नाम अध्यक्ष पद के लिये सामने आने लगा, हालांकि अब तक किसी के भी नाम पर भी सहमति न बनी है। ऐसे में सवाल उठता है की क्या युवा चेहरे को बतौर अध्यक्ष या भी उपाध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी मिलती है, एक नज़र डालते हैं युवा चेहरों पर जिनके नाम अब तक अध्यक्ष की दौड़ में आगे आए हैं।



सचिन पायलट
राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट का नाम युवा चेहरों मे प्रमुख है जिनपर पार्टी दांव लगा सकती है। सचिन पायलट की उम्र 42 साल है और युवा होने के साथ साथ पिछ्ले पांच साल से वो राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत और सचिन के नेतृत्व में ही जीता है। ऐसे में अगर अध्यक्ष किसी वरिष्ठ को भी चुना जाता है तो कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट पसंद हो सकते हैं, क्योंकि सचिन हिन्दी भाषी प्रदेश से भी आते हैं हालांकि अशोक गहलोत से बेहतर समन्वय न होना सचिन पायलट के लिये एक कमजोर पक्ष है। लोकसभा चुनाव 2019 में राजस्थान की 25 सीटों में से कांग्रेस का एक सीट पर भी न जीतना भी सचिन के खिलाफ जा सकता है।



ज्योतिरादित्य सिंधिया
युवा चेहरों में ज्योतिरादित्य सिन्धिया भी एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं पार्टी के अध्यक्ष या फिर बतौर कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर। सचिन की तरह ज्योतिरादित्य भी युवा चेहरे हैं। 48 वर्षीय ज्योतिरादित्य केंद्र में मंत्री रह चुके हैं और 2002 में पहली बार सांसद चुने गये और 17 वर्षों से कांग्रेस की सक्रिय राजनिती से जुडे हैं। 2014 में मोदी लहर में भी मध्य प्रदेश से वो चुनाव जीते लेकिन 2019 के मोदी लहर में वो चुनाव हार गये। हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी को अगले अध्यक्ष का चुनाव करना है लेकिन पार्टी के अन्दर बतौर अध्यक्ष पद के लिये मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का समर्थन ज्योतिरादित्य को मिलना मुश्किल होगा जोकि एक कमजोर पक्ष है। पश्चिमी यूपी के प्रभारी के तौर पर कांग्रेस का बुरा प्रदर्शन और लोकसभा चुनाव में खुद की सीट गंवाना ज्योतिरादित्य के कमजोर पक्ष में गिने जाएंगे।



मिलिंद देवडा
युवा चेहरे में एक नाम 43 वर्षीय मिलिंद देवडा का भी सामने आया है। मिलिंद देवडा केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं और मृदुभाषी माने जाते हैं। हाल ही में इन्होंने भी मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा सौंपा है। 2019 का लोकसभा चुनाव भी मिलिंद देवडा हार गये हैं। मिलिंद एक युवा चेहरा ज़रूर हैं लेकिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी इनपर दांव लगाएगी इस बात की उम्मीद कम लगती है।



सुष्मिता देव
ऑल इण्डिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव का नाम भी अध्यक्ष पद के संभावित युवा चेहरे के तौर पर सामने आया। सचिन, ज्योतिरादित्य और मिलिंद की तरह सुष्मिता देव भी कांग्रेस के दिग्गज राजनीतिक परिवार से आती हैं, विरासत में राजनीति मिलने के बावजूद सुष्मिता अपने लोकसभा क्षेत्र सिलचर में जमीनी तौर पर सक्रिय रहती हैं और इसी का नतीजा था की 2014 के मोदी लहर में भी चुनाव जीती, लेकिन 2019 में हार गई। युवा के अलावा वो पार्टी की एक प्रमुख महिला चेहरा भी हैं और 2014 से 2019 तक संसद में भी काफी सक्रिय रहीं। सुष्मिता देव को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है।



युवा को कमान देने के अमरिंदर सिंह के ट्वीट के बाद ऊपर के सभी चार नाम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में अध्यक्ष पद के लिये चर्चा में आये। लेकिन देखना होगा की क्या कांग्रेस वर्किंग कमेटी पार्टी के मौजूदा संकट में किसी युवा को कमान देने को तैयार होगी, हालांकि इस बात की सम्भावना कम है।उम्मीद है कांग्रेस संविधान के मुताबिक ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी फैसला लेगी और जो भी नई व्यवस्था होगी उसमें अनुभवी के साथ साथ युवा चेहरों को भी प्राथमिकता मिलेगी। एक विकल्प ये भी है की किसी वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अध्यक्ष बनाने के साथ पार्टी युवा चेहरे को उपाध्यक्ष या जोन के मुताबिक कार्यकारी अध्यक्ष बनाये। पुराने कांग्रेसी नटवर सिंह का मानना है की युवा को कमान देने से फायदा होगा जबकि हंसराज भारद्वाज का मानना है की चुनाव के जरिये अध्यक्ष बने भले ही वो युवा हो या वरिष्ठ।



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