वित्तीय लेन-देने के अभाव में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खोले गए बचत खाते बंद हो रहे हैं। जिन बैंक खातों में वित्तीय लेन-देन पिछले एक साल से नहीं हो रहा था, उन्हें बंद करना पड़ रहा है। बैंकिंग सूत्रों की मानें तो बिहार में अबतक लाखों जन-धन खाते बंद हो चुके हैं। 



छोटे-छोटे कारोबार करने वालों एवं गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को जन-धन खाते के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया था। जन-धन बैंक खाताधारकों को दो लाख रुपये तक की दुर्घटना बीमा की सुविधा भी दी गयी है। वहीं, इन्हें रूपे कार्ड की भी सुविधा दी गयी है। इन बैंक खातों में राशि की जमा- निकासी या एटीएम के इस्तेमाल इत्यादि पर किसी प्रकार की कटौती नहीं की जाती है, इसके बावजूद जन-धन खाते बंद हो रहे हैं। 



 
राज्य में करीब 62 लाख 76 हजार 025 जन-धन खाते बंद पड़े हैं। इन खातधारकों ने किसी प्रकार का वित्तीय लेनेदेन नहीं किया है। बिहार में कुल 4 करोड़ 26 लाख 64 हजार 825 जन-धन खाते हैं। इनमें अभी कुल 3 करोड़ 63 लाख 88 हजार सक्रिय हैं। इन खातों में कुल 9100 करोड़ जमा हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 31 मार्च तक 69 लाख 68 हजार 678 नये खाते खोले गए। इन नये खातों में कुल 2099  करोड़ जमा किए गए।



जन-धन खातों में ओवरड्राफ्ट की सुविधा 
बैंकिंग सूत्रों के अनुसार बिहार में जन-धन खातों के माध्यम से अबतक 298 करोड़ रुपये की ओवर-ड्राफ्ट की सुविधा प्रदान की गयी है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जन-धन खातों के माध्यम से 58 करोड़ का ओवरड्राफ्ट किया गया है। ओवर ड्राफ्ट सुविधा में खाते में पैसा न रहने के बावजूद खाताधारक तयशुदा राशि निकाल सकता है। 



राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी के समन्वयक आर. दास ने कहा कि बैंक खाते बंद होते है तो नए खोले भी जाते है, यह बैंकिंग सेक्टर की एक सामान्य प्रक्रिया है।



अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि यह चिंता की बात है। जन-धन खातों में विभिन्न प्रकार की राशि सीधे खाते में जमा (डीबीटी) होनी थी, वो कहां गईं, उनका ट्रांजेक्शन क्यों नहीं हो रहा,  इन खातों के बंद या निष्क्रिय होने को लेकर सरकार व बैंक दोनों जिम्मेवार है। 

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