अदालत ने सात साल के बच्चे के खिलाफ दायर चेक बाउंस के मामले को खारिज कर दिया है। यह मामला साहिबाबाद निवासी सिद्धार्थ अग्रवाल ने बच्चे के खिलाफ मई 2018 में दायर किया था। शिकायतकर्ता के पिता व बच्चे के पिता एक-दूसरे के साथ कारोबार करते थे और चेक बाउंस होने पर यह वाद दायर किया गया था। 


कड़कडड़ूमा जिला अदालत के एसीएमएम विजय कुमार झा के समक्ष आरोपी बच्चा पांच जुलाई को स्कूल की वर्दी में पेश हुआ तो उन्होंने उसका परिचय पत्र देखा। उसमें उसकी आयु महज सात साल लिखी थी। 


दूसरी कोर्ट ने आरोपी बच्चे के पिता को छूट दी कि वह सात साल के बच्चे पर चेक बाउंस का केस करने से हुई प्रताड़ना के लिए शिकायतकर्ता पर मुकदमा दायर कर सकते हैं। 



कोर्ट के समक्ष आरोपी बच्चे की ओर से अधिवक्ता विशेष राघव ने बताया कि शिकायतकर्ता ने सिद्धार्थ अग्रवाल ने टीटू शर्मा के बेटे के नाम से नोटिस भेज दिया जबकि उन्हें पता ही नहीं था कि यह बच्चा नाबालिग है। 



यह था मामला...पेश मामले में शिकायतकर्ता सिद्धार्थ अग्रवाल के पिता का आरोपित बच्चे के पिता टीटू शर्मा के साथ व्यापार चल रहा था। सिद्धार्थ  के पिता गत्ते के डिब्बे बनाकर टीटू शर्मा को चांदनी चौक स्थित उनकी दुकान पर सप्लाई किया करते थे जिसका भुगतान टीटू शर्मा उन्हें चेक द्वारा करता था। शिकायतकर्ता के पिता ने मई 2018 में भी टीटू शर्मा को माल सप्लाई किया तो उसमें से 33 हजार का माल खराब निकला। इस माल का भुगतान टीटू शर्मा चेक से कर चुका था। जब शिकायतकर्ता बैंक से रुपये निकालने के लिए चेक बैंक में जमा किया तो वह बाउंस हो गया। इसके बाद सिद्धार्थ के पिता ने उसके नाम से टीटू शर्मा के नाबालिग बेटे को कानूनी नोटिस भेजकर 33 हजार रुपये का भुगतान 15 दिन के भीतर भुगतान करने की मांग की थी। 

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