पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे विवाद में रविवार को नया मोड़ आ गया। सिद्धू ने मंत्री पद से अपने इस्तीफे का ऐलान किया। उन्होंने ट्विटर पर 10 जून को लिखा एक पत्र शेयर किया है। सिद्धू 10 जून को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मिले थे। उन्होंने इस्तीफे की कॉपी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी भेजने की बात कही है। सिद्धू जनवरी 2017 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे।


जून में सिद्धू एक कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। इसके बाद 6 जून को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनका विभाग बदल दिया। सिद्धू से महत्वपूर्ण माना जाने वाला स्थानीय शासन विभाग ले लिया गया और उन्हें बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का प्रभार दिया गया था। हालांकि, सिद्धू ने नए मंत्रालय का प्रभार नहीं संभाला।



सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अहमद पटेल के साथ एक फोटो भी शेयर की थी।



पत्नी को टिकट नहीं मिलने पर गहराया था विवाद 

लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अमरिंदर की वजह से अमृतसर सीट से टिकट नहीं मिला। वहीं, सिद्धू ने भी पत्नी का समर्थन किया था। हालांकि, अमरिंदर ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था।



पाक सेना प्रमुख से गले मिलने पर कैप्टन ने विरोध जताया थापाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण में सिद्धू के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर कैप्टन अमरिंदर ने विरोध जताया था। इसके बाद 2018 में जब सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास के दौरान पाकिस्तान गए थे तो अमरिंदर ने कहा था कि सिद्धू हाईकमान की परमिशन के बिना वहां गए हैं।



क्रिकेट से राजनीति तक सिद्धू  

1983 से 1999 तक सिद्धू क्रिकेट के खिलाड़ी रहे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्हें भाजपा ने टिकट दिया। 2004 में वह अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। हालांकि, जनवरी 2007 में पुराने गैर इरादतन हत्या के मामले में कोर्ट का फैसला आते ही उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका लगा दी। 2007 के उप-चुनाव में भी सिद्धू ने अमृतसर सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद 2009 और 2014 में भी अमृतसर सीट पर जीत हासिल की।



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