ग्लोबल रेस्ट्रॉन्ट चेन मैकडॉनल्ड्स भारत में एक खुलासा कर घिर गया है। उसने ट्वीट कर बताया कि देश में उसका हरेक रेस्ट्रॉन्ट हलाल सर्टिफाइड है। उसने एक ट्विटर हैंडल से आए सवाल के जवाब में कहा कि भारत में किसी भी मैकडॉनल्ड्स रेस्त्रां के मैनेजर्स से हलाल सर्टिफिकेट मांगा जा सकता है। मैकडी के इस ट्वीट पर कुछ लोग भड़क गए और ट्विटर पर इस रेस्त्रां के बहिष्कार की मांग उठ गई। ट्विटर पर #boycottmcdonalds शुक्रवार को सबसे ऊपर ट्रेंड करने लगा। ट्विटर यूजर ने मैकडी पर आरोप लगाया कि वह गैर-मुस्लिमों को हलाल मीट खाने को मजबूर कर रही है। 



venkysplace नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा, 'हिंदू, सिख समेत तमाम गैर-मुस्लिम ग्राहकों को हलाल मीट खाने को मजबूर कर रहे हैं? क्या यह अल्पसंख्यकवाद की अत्याचार थोपना नहीं है? हिंदू धार्मिक भावना का क्या? हम आपके 80% ग्राहक हैं, फिर भी हमारा कोई मायने नहीं है?' इसने लिखा, 'क्या हमें मैकडी का बहिष्कार करना पड़ेगा?' 
वहीं, upasanatigress नाम के एक ट्विटर हैंडल ने लिखा कि वह इस इस्लामिक फूडचेन में कभी खाना नहीं खाएंगी। उन्होंने लिखा, 'वाह, हमें नहीं पता था कि आप एक इस्लामिक फूडचेन फ्रैंचाइजी हैं। मैं इस रेस्त्रां का खाना कभी नहीं खाऊंगी जो इस्लामी रीति-रिवाजों से भोजन परोसता है। भारत में सिर्फ 15% मुसलमानों को खाना खिलाकर आपका कारोबार नहीं चल सकता।' 



दरअसल, ट्विटर पर यह अभियान तब शुरू हुआ जब मैकडी ने hibailyas89 ट्विटर हैंडल से पूछे गए सवाल का जवाब दिया। सवाल था, 'क्या मैकडी भारत में हलाल सर्टिफाइड है?' इसके जवाब में मैकडी ने दो ट्वीट किए और कहा कि हां, हमारे सभी रेस्तरां हलाल सर्टिफाइड हैं। मैकडी ने अपने हैंडल से ट्वीट किया, 'मैकडॉनल्ड्स इंडिया से संपर्क करने के लिए समय निकाला, धन्यवाद। हमें खुशी है कि आपके कॉमेंट्स का जवाब देने का मौका मिला। हम अपने सभी रेस्त्रां में जिस मीट का इस्तेमाल करते हैं, वह सर्वोच्च गुणवत्ता का होता है। यह सरकार से मंजूरी प्राप्त एचएसीसीपी सर्टिफाइड सप्लायरों से आता है।' 



मैकडी ने अगले ट्वीट में लिखा, 'हमारे सभी रेस्तरां के पास हलाल सर्टिफिकेट्स हैं। आप अपनी संतुष्टि और पुष्टि के लिए रेस्त्रां मैनेजर से सर्टिफिकेट दिखाने को कह सकते हैं।' ध्यान दें कि एचएसीसीपी का फुल फॉर्म हैजर्ड ऐनालिसिस ऐंड क्रिटिकल कंट्रोल पॉइंट होता है। यह एक भोजन की शुद्धता और सुरक्षा का मानदंड तय करने वाला अंतरराष्ट्रीय सिस्टम है। 



गौरतलब है कि कुछ दिन पहले जमैटो के डिलिवरी सिस्टम पर भी विवाद खड़ा हो गया था। जमौटो के एक यूजर ने कहा था कि सावन के महीने में वह मुस्लिम डिलिवरी बॉय से खाना नहीं मंगवाना चाहता है। इस पर जमैटो ने खाने का ऑर्डर कैंसल तो कर दिया, लेकिन पैसे वापस नहीं किए। उसने कहा कि खाने का धर्म से कोई लेना-देना लेना नहीं है। तब ट्विटर यूजर्स ने उसका एक पुराना ट्वीट ढूंढकर उसे जमकर खरी-खोटी सुनाई जिसमें जमैटो ने हलाल मीट की गारंटी दी थी। 


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