पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में अपने खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट और 26 अगस्त तक सीबीआई की हिरासत में भेजने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में नयी अर्जी दाखिल की। वरिष्ठ कांग्रेस नेता को 21 अगस्त को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था। उसी दिन निचली अदालत ने इस मामले में उनके विरूद्ध गिरफ्तारी वारंट किया था। 


निचली अदालत ने उन्हें बृहस्पतिवार तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। निचली अदालत ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया मामले में हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करना बिल्कुल उचित है। अपनी नयी अर्जी में चिदम्बरम ने निचली अदालत के आदेश के विरूद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए बगैर ही शीर्ष अदालत में पहुंच जाने को यह कहते हुए सही ठहराया कि 'याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी/उन्हें हिरासत में लिया जाना और प्रतिवादी एजेंसी की हिरासत में भेजा जाना 20 अगस्त, 2019 के फैसले का प्रत्यक्ष परिणाम है ..... जिसमें याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज कर दी गयी और इस मामले के गुणदोष पर ही कुछ टिप्पणियां की गयी।



उन्होंने कहा कि यह अर्जी उनकी आजादी से जुड़ी है जो अवैध रूप से बाधित की गयी है। अर्जी में कहा गया है, '' यह याचिकाकर्ता का ऐसा मामला है जहां 21 अगस्त 2019 को जारी गैर जमानती वारंट पर याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी / उन्हें हिरासत में लिया जाना तथा 22 अगस्त, 2019 के आदेश पर उनकी हिरासत पूरी तरह क्षेत्राधिकार और कानून के प्राधिकार के बाहर है। चिदम्बरम ने अंतरिम राहत के तौर पर निचली अदालत के दो आदेशों पर उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध उनकी अपीलों के निस्तारण तक स्थगन की मांग की है।

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