नयी दिल्‍ली। भारतीय वायुसेना राफेल विमानों के बाद अब 1500 करोड़ रुपये की लागत से 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने जा रही है। बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, यूरोफाइटर, रशियन युनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन और साब जैसे लड़ाकू जेट बनाने वाली कंपनियां इस अनुबंध को हासिल करने की दौड़ में हैं।


वायुसेना को उम्मीद है कि इन विमानों की खरीद प्रक्रिया राफेल से जल्द पूरी होगी। मालूम हो राफेल खरीद में 10 साल से अधिक का समय लग गया। राफेल अनुबंध 126 से 36 होने के बाद वायुसेना ने इन विमानों की खरीद के लिए वैश्विक बाजार का रुख किया है।


गौरतलब है कि वायुसेना मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाना चाहती है, लेकिन कुछ कारणों से इनका विकल्प उपलब्ध होने में देरी हुई है। वायुसेना को पहला राफेल विमान अगले महीने मिलेगा, जबकि चार साल में सभी 36 राफेल विमान मिल जाएंगे। साथ ही वायुसेना रूस से मिग-29 लेने के साथ सुखोई एसयू-30 एमकेआई का ऑर्डर देने पर विचार कर रही है। भारत की योजना जगुआर को भी उन्नत बनाने की है, जो पिछले कई सालों से लंबित है।


साथ ही वायुसेना रूस से मिग-29 लेने के साथ सुखोई एसयू-30 एमकेआई का ऑर्डर देने पर विचार कर रही है। भारत की योजना जगुआर को भी उन्नत बनाने की है, जो पिछले कई सालों से लंबित है।





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