लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समस्या का सबब बने छुट्टा गोवंश की गंभीर समस्या के हल के लिए आयोग ठोस कार्ययोजना बनाने में लगा है, इसी क्रम में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग में देवलापार, नागपुर के गोविज्ञान अनुसंधान केन्द्र के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय बैठक की। गोसेवा आयोग के अध्यक्ष डा. श्याम नन्दन सिंह की अध्यक्षता में इंदिरा भवन स्थित गोसेवा आयोग के कार्यालय में हुई इस बैठक में गोवंश से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं के समाधान को लेकर व्यापक चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग और गो विज्ञान केन्द्र के बीच गोवंश के संरक्षण को लेकर जो सहमित बनी है, उसमें उत्तर प्रदेश में गोवंश से जुड़े विषयों पर प्रशिक्षण, हर जिले में बनाई जा रही मॉडल गोशालाओं में विभिन्न प्रकार की उपक्रमों का संचालन और किसानों के समूह बनाकर प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जाएगा। गो विज्ञान केन्द्र के समन्वयक सुनील मानसिंहका ने बताया कि उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए गोवंश वरदान बन जाएगा, अगर किसानों को उचित प्रशिक्षण हासिल हो जाए। 

बैठक में गो सेवा आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि गोवंश के संरक्षण और सवंर्धन को लेकर आयोग बेहद गंभीर है, इसके लिए ठोस कार्ययोजनाओं के निर्माण के साथ हर संभव कदम फौरी तर पर उठाए गए हैं। गो विज्ञान केंद्र नागपुर के कोआर्डिनेटर सुनील मान सिंह ने गो संरक्षण और सवर्धन को लेकर कहा कि देश का विकास तभी हो सकता है, जब गो सवर्धन होगा क्योंकि देश के विकास में गोवंश का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि आज किसानों की माली हालत का एक प्रमुख कारण है किसानों को गोवंश की उपयोगिता का ज्ञान न होना है। इसलिए अब देश के किसानों को देशी गोवंश से होने वाले लाभ के बारे में और प्रशिक्षण देने की जरूरत है।

सुनील मान सिंहका ने कहा कि हमारा देश मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए कृषि की प्रणाली गोवंश पर ही आधारित होनी चाहिए। गाय के लिए इस देश के लोगों के मन में श्रद्धा किसी अंधविश्वास या धार्मिक अनुष्ठान के कारण नहीं बल्कि उसकी उपयोगिता के कारण होनी चाहिए। जैसे कृषि,  ग्राम उद्द्योग, यातायात के अलावा दूध, दही और छाछ ,गौमूत्र और गोबर से बनने वाले उत्पादों जैसे गो आधारित जैविक खेती, गो आधारित ऊर्जा (गोवर गैस), गो आधारित (पंचगव्य) चिकित्सा, गो आधारित कृषि और कुटीर-उद्योग और गो संवर्धन एवं नस्ल सुधार शामिल हैं।

 

गौरतलब है कि गो विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने बिना दूध के केवल गोबर और गोमूत्र के साथ गो आधारित कृषि के माध्यम से किसानों की आय चौगुनी करने में सफलता हासिल की है। गो विज्ञान अनुसंधान संस्थान के समन्वय सुनील मानसिंहका ने बताया कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान के साथ ही छत्तिसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में भी इस दिशा में ठोस पहल हुई है। गो विज्ञान केन्द्र उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिक संस्थानों सीमैप, एनबीआरआई और आईवीआरआई के साथ मिलकर अपने प्रयोगों का परिक्षण भी कर चुका है, साथ ही कुछ औषधियों के पेटेन्ट हसिल करने में भी सफलता हासिल की है ।

गोमूत्र और गोबर से बने पंचगव्य दवाओं, जैविक खाद और अन्य उत्पादों के परिक्षण के लिए लखनऊ में एक लैब बनाने को लेकर गो विज्ञान केंद्र के साथ प्राथमिक सहमति बनी है, आयोग सीएसआईआर की किसी लैब के साथ अनुबन्ध करने पर भी विचार कर रहा है ।

बैठक में आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नन्दन सिंह और गो विज्ञान अनुसंधान केन्ध्र के सुनील मानसिंहका के साथ समन्वय बैठक में आयोग के सचिव डॉ. आनन्द सोलंकी, पशु चिकित्सक डॉं. पवार और आयोग के अधिकारियों के साथ ही एडवाइजरी समूह के विशेषज्ञों में आयोग के पूर्व सचिव डॉक्टर पी के त्रिपाठी,  वरिष्ठ विष वैज्ञानिक डॉक्टर उमाशंकर श्रीवास्तव, विधि विशेषज्ञ योगेश मिश्र, यूनाइट फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष राधेश्याम दीक्षित, पंचगव्य औषधियों के विशेषज्ञ डॉ. मोहित त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार हेमेन्द्र तोमर, बिठूर के वेद वासुदेव प्रतिष्ठान के प्रतिनिधि अजीत तुकदेव और निलिमा चिवके ने हिस्सा लिया। गोवंश के संरक्षण और संवर्धन से जुड़े लखनऊ की श्री गोपेश्वर गौशाला से उमाकान्त, और अभिषेक ने वाराणसी के आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान से अखिलेश कुमार सिंह ने भी हिस्सा लिया।

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