देश में आए दिन एक के बाद एक नए नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं, लगातार नए नयां बन रहे हैं और देश की जनता को कई सारी सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है। कुछ वर्षों पहले देश के सभी नागरिकों को आधार कार्ड की सुविधा दी गयी थी और अब जनता की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए जमीन के विवादों से निपटने के लिए और ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए सरकार नया कदम उठाने पर विचार कर रही है। दरअसल मोदी सरकार आधार कार्ड के यूनिक नंबर की तरह प्लॉट या जमीन को भी एक नंबर देने का विचार बना रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनीक लैंड पार्सल नंबर के सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है। जमीन को यूनीक आइडेंटिटी नंबर दिए जाने से जमीन के विवादों से निपटने में आसानी होगी। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह नंबर सर्वे किए गए जमीनों को दिया जाएगा।


यूनीक आइडेंटिटी नंबर में जमीन के आकार, मालिकाना हक, राज्य, जिला ,तहसील और तालुका जैसी जानकारियां जुड़ी होंगी। इस नंबर को आगे चलकर आधार और रेवेन्यू कोर्ट सिस्टम के जरिए लिंक किया जा सकता है। इस नंबर से रियल स्टेट के लेन-देन में आसानी होगी और साथ ही संपत्ति से जुड़े कर के मामलों में मदद मिलेगी। यह लैंड रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन की दिशा में कदम है। इस नंबर से सरकार को भूमि अधिग्रहण में आसानी होगी। बता दें कि पहले ही सरकार प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के कंप्यूटराइजेशन और सभी लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन के लिए नैशनल लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम को लागू कर रही है। हालांकि की कई राज्यों में इस प्रक्रिया में काफी धीमी है। वित्त मंत्रालय का इस मसले पर कहना है देश को डिजिटल लैंड रिकॉर्ड मिशन की जरूरत है। यह GIS से भी जुड़ा होगा जिसके चलते चंद मिनटों में जमीन से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकेगी।


इस नंबर में जमीन से जुड़े लेन-देन और इसके मालिकाना हक से जुड़ी सारी जानकारियां भी होंगी। जानकारों का कहना है कि इससे  जमीन के लेन देन में पारदर्शिता आएगी और विदेशी निवेश में भी बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि भारत में जमीन से जुड़े विवादों के चलते भी अधिग्रहण और लेन-देन में दिक्कत के चलते नए उद्योग लगाने में कंपनियों को मुश्किल आती है।

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